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RBI डेटा से खुलासा: IT निर्यात में 12.7% उछाल, लेकिन विदेशी मुद्रा कमाई में पिछड़ गईं लिस्टेड टेक कंपनियां

आरबीआई के आंकड़ों से सॉफ्टवेयर निर्यात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है जबकि सूचीबद्ध आईटी कंपनियों की विदेशी मुद्रा कमाई सीमित बढ़त तक सिमटी हुई बताई गई है

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कृष्ण कांत   
Last Updated- September 25, 2025 | 9:26 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़ों और देश की सूचीबद्ध सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा क्षेत्र की कंपनियों के वार्षिक खुलासे से सॉफ्टवेयर निर्यात में बढ़ते फासले का पता चलता है। जहां आरबीआई के आंकड़े भारत के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात में दो अंकों की दमदार वृद्धि दिखाते हैं, वहीं सूचीबद्ध आईटी समूहों को विदेशी मुद्रा राजस्व और शुद्ध बिक्री में एक अंक की सुस्त वृद्धि से जूझना पड़ा है।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 25 में देश का सॉफ्टवेयर निर्यात सालाना आधार पर 12.7 प्रतिशत बढ़कर 180.6 अरब डॉलर हो गया। इसके विपरीत बीएसई 500, बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉल कैप सूचकांकों में शामिल 64 सूचीबद्ध आईटी सेवा समूहों का संयुक्त विदेशी मुद्रा राजस्व केवल 3.8 प्रतिशत बढ़कर 69.6 अरब डॉलर हुआ।

यह फासला नया नहीं है, बल्कि वैश्विक महामारी के बाद की अवधि में यह बढ़ा ही है। पिछले पांच साल के दौरान भारत का सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात 14.2 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है और वित्त वर्ष 20 के 93.1 अरब डॉलर के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में दोगुना होकर 180.6 अरब डॉलर हो गया। इसकी तुलना में सूचीबद्ध आईटी कंपनियों ने विदेशी मुद्रा राजस्व में केवल 7.1 प्रतिशत की सीएजीआर हासिल की है और यह इस अवधि के दौरान 40 प्रतिशत बढ़कर 4.95 करोड़ डॉलर से 6.96 करोड़ डॉलर हुआ है।

इसके परिणामस्वरूप समूचे निर्यात में सूचीबद्ध आईटी समूहों का योगदान लगातार कम हो रहा है। देश के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात में उनकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 25 में 14 साल के निचले स्तर 38.5 प्रतिशत पर आ गई जो वित्त वर्ष 20 में 41.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 19 में 55 प्रतिशत के शीर्ष स्तर पर थी। यह पिछले रुझान के विपरीत है। वित्त वर्ष 2005 और वित्त वर्ष 2019 के बीच सूचीबद्ध आईटी कंपनियों ने 16.3 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से विदेशी मुद्रा राजस्व में इजाफा किया जो समूचे सॉफ्टवेयर निर्यात की 11.7 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से काफी ज्यादा है।

राष्ट्रीय निर्यात में उनकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2005 के 31.5 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 55 प्रतिशत हो गई। हालांकि समूचे निर्यात की तुलना में केवल तीन वर्षों – वित्त वर्ष 2009, वित्त वर्ष 2010 और वित्त वर्ष 2013 में धीमी वृद्धि रही।

First Published : September 25, 2025 | 9:26 PM IST