आईटी कंपनी टीसीएस कई सालों तक सबसे बड़ी और सबसे महंगी (ज्यादा वैल्यू वाली) कंपनी मानी जाती थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। टीसीएस का शेयर अब 22.5 गुना पी/ई पर चल रहा है। यह इन्फोसिस (22.9 गुना) और एचसीएलटेक (25.5 गुना) से भी कम है।
साल 2011 से 2024 की शुरुआत तक, पूरे 14 साल, टीसीएस हमेशा दूसरों से ऊँचे मूल्य पर ट्रेड होती थी। उस समय टीसीएस का वैल्यूएशन औसत 25.5 गुना रहता था, जो पूरे उद्योग के औसत से 15% ज़्यादा था। उसी समय में टीसीएस का वैल्यूएशन इन्फोसिस से 18% और एचसीएलटेक से 38% ज़्यादा रहता था।
लेकिन अब पहली बार ऐसा हुआ है कि टीसीएस का वैल्यू इन्फोसिस और एचसीएलटेक, दोनों से कम हो गया है।
टीसीएस का आईटी उद्योग में दबदबा पहले जितना नहीं रहा। कंपनी का बाजार में हिस्सा पिछले कुछ सालों में लगातार कम हुआ है। अभी टीसीएस, निफ्टी 50 की पांच बड़ी आईटी कंपनियों के कुल बाजार मूल्य का सिर्फ 43.4% हिस्सा रखती है, जबकि मार्च 2020 में इसका हिस्सा 55% था। बुधवार को टीसीएस का मार्केट वैल्यू लगभग 11.3 लाख करोड़ रुपये था, जबकि पांचों बड़ी आईटी कंपनियों का कुल मूल्य 26.1 लाख करोड़ रुपये के करीब था। इससे साफ दिखता है कि कोविड-19 के बाद पूरे आईटी सेक्टर पर दबाव आया, लेकिन टीसीएस पर इसका असर दूसरों की तुलना में ज्यादा पड़ा और उसका बाजार में दबदबा कम हो गया।
महामारी के समय और उसके थोड़े बाद आईटी कंपनियों के शेयर खूब बढ़े थे, लेकिन पिछले दो साल से पूरे आईटी सेक्टर में शेयरों का मूल्य कम होना शुरू हो गया। इसी गिरावट को डिरेटिंग कहते हैं। इस पूरे दौर में टीसीएस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। सितंबर 2024 में टीसीएस का बाजार मूल्य अपने सबसे ऊंचे स्तर पर था, लेकिन अब वहां से लगभग 27% गिर चुका है। दूसरी तरफ, निफ्टी 50 की पांच बड़ी आईटी कंपनियों का कुल बाजार मूल्य दिसंबर 2024 के अपने ऊंचे स्तर से सिर्फ 20% गिरा है।
इससे साफ पता चलता है कि गिरावट का असर टीसीएस पर बाकी कंपनियों की तुलना में अधिक पड़ा है। सितंबर 2024 में टीसीएस का रिकॉर्ड मार्केट कैप 15.44 लाख करोड़ रुपये था, जो अब काफी कम (₹11.32 लाख करोड़) हो गया है। वहीं पांचों बड़ी आईटी कंपनियों का कुल मार्केट कैप दिसंबर 2024 के 32.67 लाख करोड़ रुपये से घटकर अब 26.1 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है।
टीसीएस का गिरता हुआ वैल्यूएशन सिर्फ उसके मार्केट कैप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसके दूसरे महत्वपूर्ण आंकड़ों में भी बड़ी कमी दिख रही है। कंपनी का पी/ई मल्टीपल, जो पहले सितंबर 2024 में 32.6 गुना था, अब घटकर 22.5 गुना रह गया है। सितंबर 2021 में यही पी/ई 38.2 गुना के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर था। दूसरी तरफ निफ्टी 50 की पांच बड़ी आईटी कंपनियों का औसत पी/ई भी जरूर गिरा है, लेकिन उतनी तेजी से नहीं। उनका औसत पी/ई सितंबर 2024 में 30.4 गुना था, जो अब घटकर 23 गुना रह गया है, जबकि दिसंबर 2021 में यह 35.5 गुना था। इन आँकड़ों से साफ दिखता है कि वैल्यूएशन में आई इस गिरावट का असर टीसीएस पर बाकी कंपनियों की तुलना में ज्यादा हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार, टीसीएस की सबसे बड़ी समस्या उसकी कमाई की धीमी रफ्तार है। पिछले चार तिमाहियों में कंपनी का शुद्ध लाभ साल की तुलना में सिर्फ 4.4% बढ़ा है, जबकि पांच बड़ी आईटी कंपनियों का कुल मुनाफा 6% बढ़ा है। इससे निवेशकों को लगने लगा है कि टीसीएस की कमाई अब पहले जैसी तेज नहीं रही। टीसीएस का शुद्ध लाभ, जिसमें खास तरह के अतिरिक्त लाभ या नुकसान को हटा दिया जाता है, सितंबर 2025 तक के 12 महीनों में बढ़कर 50,294 करोड़ रुपये हुआ, जबकि एक साल पहले यह 48,158 करोड़ रुपये था।
इसी समय में पांचों बड़ी आईटी कंपनियों का कुल लाभ लगभग 10.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञ कहते हैं कि टीसीएस का मार्जिन (मुनाफे का हिस्सा) भी कमजोर हुआ है और कंपनी पर दबाव पहले से ज्यादा दिख रहा है। इसी वजह से निवेशक अब टीसीएस के शेयर को पहले की तरह ज्यादा प्रीमियम कीमत पर खरीदने को तैयार नहीं हैं।
भविष्य को लेकर भी विश्लेषक बहुत भरोसा नहीं दिखा रहे हैं। कंपनी के मैनेजमेंट ने कहा है कि वित्त वर्ष 2026 की ग्रोथ, 2025 से बेहतर होगी, लेकिन यह बात निवेशकों को साफ तौर पर समझ नहीं आ रही। ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल की ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कंपनी का यह अनुमान अभी “काफी धुंधला” लगता है।
दुनिया में आर्थिक अनिश्चितता, बड़े आईटी कॉन्ट्रैक्ट्स की धीमी रफ्तार और ग्राहकों की सतर्कता जैसी वजहें टीसीएस के लिए आने वाले समय को और मुश्किल बना सकती हैं।