हल्के स्वदेशी लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस का सफलतापूर्वक परीक्षण करने के बाद वायु सेना ने एक और कदम आगे बढ़ा लिया है।
वायु सेना अब देश में ही बने मध्यम लड़ाकू विमान एमसीए को विकसित करने की योजना बना रही है। कुछ ही दिन में वायु सेना और विमान डिजायनरों का दल मिलकर संयुक्त समिति बनाने जा रहे हैं, जो बेंगलुरु में बनने वाले इस विमान का खाका खींचेगी।
एमसीए की डिजायन टीम में एलसीए डिजायन करने वाली एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए), नैशनल एयरोनॉटिक्स लैबोरेट्री (एनएएल), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) शामिल हैं। डीआडीओ का काम एमसीए के लिए सेंसर और प्रणाली बनाना है।
एडीए के निदेशक डॉ. पी एस सुब्रमण्यम ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘संयुक्त समिति दो या तीन हफ्ते के भीतर बना दी जाएगी। यह समिति अंतिम तौर पर तय करेगी कि एमसीए में क्या-क्या लगाया जाएगा। इसके अलावा इसे बनाने में खर्च होने वाली कुल राशि भी यही समिति तैयार करेगी।’
उन्होंने कहा कि शुरुआती लक्ष्य 5,000 करोड़ रुपये में ही एमसीए का विकास करना और उसके 5-6 प्रोटोटाइप तैयार कर लेना है। एलसीए के विकास में भी इतनी रकम ही खर्च हुई थी। इसके साथ ही भारतीय वैमानिकी डिजायनर सभी लड़ाकू विमानों पर काम करने लगेंगे। हल्के लड़ाकू विमानों में तेजस 2011 में वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है।
एमसीए 14-15 टन वजन वाले लड़ाकू विमानों की श्रेणी में भारत की नई ताकत होगा और रूस के सुखोई-30 एमकेआई विमानों के दबदबे वाली भारी लड़ाकू विमानों की श्रेणी में भी भारत जल्द दस्तक देने वाला है। भारतीय डिजायनर रूसी डिजायनरों के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने पर विचार कर रहे हैं।
दिलचस्प है कि एमसीए को तैयार करने की योजना बनाने से पहले ही सरकार ने 50,000 करोड़ रुपये की लागत से 126 मध्यम बहूपयोगी लड़ाकू विमानों की खरीद का ठेका भी दे दिया है। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक मिग 29 और मिराज 2000 विमानों को हटाने के लिए अभी इन्हें खरीदना जरूरी है क्योंकि एमसीए तैयार होने में समय लगेगा।
वायुसेना का मौजूदा बेड़ा 2020 तक काफी हद तक बदल हो जाएगा और उस समय कम से कम 250 मध्यम लड़ाकू विमानों की जरूरत पड़ेगी। इससे अमेरिका, रूस, यूरोप और स्वीडन की ऐसे विमान बनाने वाली कंपनियों की बांछें खिल गई हैं। लेकिन यदि भारत का एमसीए सफल हो जाता है, तो वायुसेना को महज 126 विमान खरीदने की जरूरत पड़ेगी।
एमसीए के डिजायनर मौजूदा सभी तकनीकों से बेहतर तकनीक ईजाद करना चाहते हैं। एडीए के निदेशक कहते हैं, ‘विमान खरीद का ठेका हासिल करने का सपना जो खिलाड़ी देख रहे हैं, उनमें से किसी के पास अत्याधुनिक तकनीक 2015 या 2017 तक नहीं होगी। लेकिन एमसीए के पास तकनीक होगी। उसमें ऐसी तकनीक इस्तेमाल होगी, जो अमेरिकी वायु सेना के एफ-22 रैप्टर में है।’
मध्यम भार के स्वदेशी लड़ाकू विमान का जल्द होगा विकास
14 से 15 टन वजन के विमान वाले देशों में भारत भी शामिल
स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस का परीक्षण सफल
2011 तक हो जाएगा वायुसेना में शामिल
एमसीए तैयार करने के लिए भी बजट 5,000 करोड़ रुपये
