भारत में प्रतिमाह मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में भले ही तेजी से इजाफा हो रहा हो, लेकिन मोबाइल हैंडसेट कंपनियों का कहना है कि वर्ष 2009 उनके लिए अच्छा नहीं रहेगा।
उनके मुताबिक, वर्ष 2008 में यह 25 फीसदी की दर से बढ़ा था, लेकिन अब इस तरह की वृद्धि के कम ही आसार हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि मोबाइल उपभोक्ता अपने पुराने हैंडसेट को बदल नया फोन नहीं खरीद रहे हैं।
गौरतलब है कि कुल मोबाइल हैंडसेट बाजार में रिप्लेसमेंट बाजार की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है। जबकि जो नए ग्राहक आ रहे हैं, वे सस्ते और पुराने (सेकेंड हैंड) हैंडसेट को तवाो दे रहे हैं। यही वजह है कि मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में तो प्रतिमाह 1 से 1.2 करोड़ का इजाफा हो रहा है, लेकिन हैंडसेट बाजार में यह तेजी नहीं दिख रही है।
इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन के मुताबिक, मोबाइल कंपनियों की ओर से करीब 11 करोड़ हैंडसेट बेचे गए, जो 26,000 करोड़ रुपये मूल्य का है। हालांकि कंपनियों का अनुमान है कि वर्ष 2009 में करीब 12 करोड़ हैंडसेट बेचे जाने का अनुमान है, लेकिन इसका कुल मूल्य पहले जितना ही रहेगा। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर उपभोक्ता सस्ते या एंट्री लेवल के हैंडसेट को खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। यही नहीं, रिप्लेसमेंट मार्केट, जहां उपभोक्ता अपने पुराने हैंडसेट को बदल नया हैंडसेट लेते हैं, उसमें किसी तरह की वृद्धि नहीं देखी जाएगी।
सैमसंग मोबाइल के कंट्री हेड वी.पी. दत्त का कहना है कि रिप्लेसमेंट बाजार पर दबाव देखा जा रहा है। पहले उपभोक्ता आमतौर पर 18 महीने में अपने पुराने हैंडसेट को बदल रहे थे, लेकिन मंदी की वजह से अब मोबाइल फोन बदलने की योजना को टाला जा रहा है। ऐसे में रिप्लेसमेंट बाजार गिरकर 20 फीसदी रह सकता है।
हालांकि रिप्लेसमेंट बाजार में जो हैंडसेट खरीदे जाएंगे, वह अपग्रेड मॉडल के होंगे। दत्त का कहना है कि मोबाइल बाजार में एंट्री लेवल यानी जिसकी कीमत 3000 रुपये कम है, उसकी बिक्री कुल हिस्सेदारी की करीब 63 फीसदी है। लेकिन स्थिति को देखते हुए लगता है कि इस सेगमेंट की हिस्सेदारी बाजार में और बढ़ेगी, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में ज्यादा नए उपभोक्ता जुड़ रहे हैं।
ग्राहकों की संख्या में भले ही इजाफा हो, लेकिन हैंडसेट कंपनियों को नहीं होगा ज्यादा फायदा