इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टूर्नामेंट अब क्रिकेट की राजनीति की ही भेंट चढ़ता दिख रहा है।
चुनावों या सुरक्षा के मसले के साथ अब तमाम राज्यों के क्रिकेट बोर्ड ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के इस ट्वेंटी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट को मटियामेट करने पर तुले हैं।
बोर्ड के उपाध्यक्ष (उत्तर) और भारतीय जनता पार्टी के महासचिव अरुण जेटली कल तक तो गृह मंत्रालय और आईपीएल आयोजकों के बीच सुलह कराने में जुटे थे, लेकिन आज वह भी हाथ खड़े करते दिखे। उन्होंने आज आरोप लगा दिया कि आईपीएल का रास्ता रोकने के लिए केंद्र सरकार ‘डर’ का बहाना बना रही है।
जेटली ने कहा, ‘अगर सुरक्षा वाकई समस्या है, तो चुनाव के बावजूद 8 राज्य मैच कराने के लिए तैयार क्यों हो गए हैं। ऐसा क्यों है कि कांग्रेस की सरकार वाले सभी राज्य आईपीएल मैच कराना नहीं चाहते, जबकि वामपंथी सरकार और भाजपा सरकार वाले राज्य इसके लिए तैयार हैं।’
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में जेटली ने कहा कि आम तौर पर मैच में 500 पुलिसकर्मियों और निजी सुरक्षा गार्डों की जरूरत होती है। उन्हें अर्द्धसैनिक बल की जरूरत नहीं होती, जैसा सरकार दावा कर रही है।
बोर्ड के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली और राजस्थान सरकार सुरक्षा के मसले पर हमारे साथ हैं। लेकिन दिल्ली और जयपुर को आईपीएल आयोजन स्थलों की फेहरिस्त से बोर्ड ने ही हटा दिया है। इसके पीछे बड़ा राज है।’
आईपीएल पर कुल मिलाकर 1,800 करोड़ रुपये का दांव लगा है। दिल्ली क्रिकेट बोर्ड में सूत्रों के मुताबिक आईपीएल अगर टल गया, तो हरेक बोर्ड को 5 से 8 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
राजनीति की पिच पर फंसा टूर्नामेंट
जेटली ने लगाया सरकार पर राजनीति का आरोप
कहा, कांग्रेस शासित राज्य डाल रहे अड़ंगा
बीसीसीआई में भी अंदरखाना राजनीति
टूर्नामेंट में दांव पर लगे 1,800 करोड़ रुपये