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अब आई कमरतोड़ महंगाई

Last Updated- December 05, 2022 | 4:48 PM IST

फल, सब्जी, दाल और कुछ विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर महंगाई दर पर पड़ा है।


आठ मार्च को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान महंगाई दर 0.81 प्रतिशत बढ़कर 11 महीने के उच्चतम स्तर 5.92 प्रतिशत पर पहुंच गई। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पिछले सप्ताह में 5.11 प्रतिशत थी।


 पिछले साल की 6.51 प्रतिशत के उच्च आधार के बावजूद मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हुई।बढ़ती हुई महंगाई दर मार्च के पहले सप्ताह में दस महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इसने केंद्रीय बैंक के ब्याज दरों में कटौती की योजना को भी धूमिल कर दिया है। रिजर्व बैंक, आर्थिक विकास को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता था।


आठ मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में महंगाई दर ने मुद्रास्फीति के पिछले सप्ताह के  रिकार्ड 5.11 प्रतिशत को तोड़ दिया है। नई दिल्ली स्थित उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अब यह 5.92 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है।


भारत ने इस सप्ताह खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह जाडे क़ी तिलहन की फसलों के खराब होने को ध्यान में रखते हुए किया गया था, जिससे अनुमान था कि खाद्य तेलों के की कमी की वजह से कीमतें बढ़ सकती हैं। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने 17 मार्च को कहा था कि जिंसों के दामों में तेजी से महंगाई से लड़ाई कठिन साबित हो रही है।


यश बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री एस एम राव ने कहा कि प्राथमिक उत्पादों के दामों का मुद्रास्फीति पर मौसमी प्रभाव रहता है। इसमें फल सब्जियां, दूध सहित अन्य चीजें शामिल हैं।तेल की बढ़ती कीमतें और और विनिर्मित वस्तुओं के दाम का प्रभाव भी मुद्रास्फीति को प्रभावित कर रहा है।


भारत में तिलहनी फसलों के खराब होने से उत्पादन में गिरावट आई है। यह पिछले साल के 103 लाख टन से घटकर 96 लाख टन होने का अनुमान है। सरकार ने एक बयान में ये आंकड़े 28 फरवरी को जारी किए थे।  दक्षिण एशिया के देश अपनी मांग को पूरा करने के लिए करीब 50 प्रतिशत आयात पर निर्भर रहते हैं। यहां पर पाम आयल इंडोनेशिया और मलेशिया से आता है और सोयाबीन तेल अजर्ेंटीना और ब्राजील से आता है। आयात का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों की कीमतें चढ़ी हैं।


वित्तीय मानक


चिदंबरम ने इस सप्ताह कहा था कि सरकार इस बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए खाद्य वस्तुओं पर सब्सिडी बढ़ा सकती है। साथ ही सरकार रिजर्व बैंक से मौद्रिक कदम उठाने को भी कह सकती है। भारत के केंद्रीय बैंक अक्टूबर 2004 से दिसंबर 2006 के बीच ब्याज दरों के बेंचमार्क में 9 बार संशोधन किया था। मुद्रा स्फीति को रोकने के लिए बाजार में पैसे के प्रवाह को रोकने के लिए कई कदम उठाए जाते रहे।


 यस बैंक के राव का कहना है कि महंगाई के दबाव को रोकने के लिए हम उम्मीद करते हैं कि कदम उठाए जाएंगे।रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दिनेश शर्मा का कहना है कि सरकार पाम आयल और सोयाबीन तेल के आयात कर में कमी कर सकती है। इससे स्थानीय आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों में स्थिरता आएगी।आधार धातुओं और मिश्रित धातुओं की कीमतों में 6.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।


 टाटा स्टील लिमिटेड और स्टील अथारिटी आफ इंडिया ने भी कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से 5 मार्च से दाम बढ़ा दिए हैं।देश की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी टाटा स्टील ने कीमतों में एकसमान बढ़ोतरी करते हुए 3,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन की बढ़ोतरी की है।


स्टील अथारिटी आफ इंडिया ने धातुओं की कीमतों में 1500 से 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से दामों में बढ़ोतरी की है।साथ ही स्टील की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। चीन सहित एशिया के तमाम बाजारों में मांग बढ़ जाने के कारण स्टील की कीमतें बढ़ गई हैं। विश्लेषक बताते हैं कि यह आर्थिक विकास का परिणाम हैं।

First Published - March 20, 2008 | 10:16 PM IST

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