भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के साथ मिलकर एक विजन दस्तावेज पेश किया है। इसमें भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का निर्यात 2020-2021 के 10.6 अरब डॉलर से 10 गुना बढ़ाकर वित्त वर्ष 2025-26 तक 120 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स देश की शीर्ष 3 निर्यात सामग्रियों में से एक हो जाएगा, जो अभी सातवें स्थान पर है।
भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का वैश्विक केंद्र बनने का सपना मोबाइल उपकरण सेग्मेंट पर निर्भर है। अगर महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल कर लिया जाता है तो वित्त वर्ष 26 में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 43 से 48 प्रतिशत होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो मोबाइल उपकरणों के निर्यात में 18 गुना बढ़ोतरी करनी होगी और यह 2020-21 के 3.1 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 26 में 53 से 58 अरब डॉलर हो जाएगा।
अनुमान के मुताबिक देश का मोबाइल उपकरण निर्यात 2021-22 में 15 अरब डॉलर पहुंचने की संभावना है।
साथ ही भारत का मोबाइल निर्यात इस पर भी निर्भर है कि क्या ऐपल इंक के 3 वेंडर पीएलआई योजना के तहत अपना निर्यात लक्ष्य पूरा कर पाते हैं या नहीं। उनकी प्रतिबद्धताओं के मुताबिक वेंटरों को वित्त वर्ष 26 मेंं 44 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करना है। यह भारत के उस साल के कुल मोबाइल उपकरण निर्यात का एक चौधाई होगा। तीन वेंडरों ने कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये (87 अरब डॉलर) के निर्यात लक्ष्य में 70 प्रतिशत (60 अरब डॉलर) निर्यात की प्रतिबद्धता जताई है, जिसे मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं के लिए सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत हासिल किया जाना है।
आज आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा जारी विजन दस्तावेज को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मत्रालय (मेइटी) और इंडिया सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने मिलकर तैयार किया है। यह उम्मीद है कि भारत में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का 40 प्रतिशत से ऊपर यानी 300 अरब डॉलर का निर्यात वित्त वर्ष 26 में किया जाएगा, जो इस समय 74.7 अरब डॉलर है। यह लक्ष्य महत्त्वाकांक्षी नजर आ सकता है, लेकिन उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि आयात के आंकड़े पर आधार के हिसाब से विचार किया जाना चाहिए और और उससे कहीं ज्यादा निर्यात लक्ष्य हासिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 5 साल में दोगुना हो जाएगा, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत से बढ़कर 4 से 5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
इस दस्तावेज में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का खाका भी पेश किया गया है, जिसके तहत अगले 10 साल में उत्पादन 1 लाख करोड़ डॉलर होने का लक्ष्य है। इसमें उत्पाद, सब-असेंबली और कल पुर्जे शामिल हैं। यहां भी मोबाइल उपकरण की पारिस्थिकी तंत्र पर निर्भरता है, उसके बाद उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर का स्थान आता है।
आईटी सचिव अजय साहनी ने कहा कि तमाम सेग्मेंट ऐसे हैं, जो वृद्धि के शुरुआती चरण में हैं और उनके पोषण की जरूरत है। इसमें टेलीकॉम उपकरण, स्मार्ट मीटर, ड्रोन आदि शामिल हैं, जिनका ज्यादातर आयात किया जाता है।
इसमें कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर तत्काल कार्रवाई की भी जरूरत बताई गई है, जैसे कंपोनेंट के आयात शुल्क में कमी लाना, जिनका विनिर्माण भारत में नहीं किया जाता है। इसके अलावा स्थिर आयात शुल्क व मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से बाजारों तक व्यापक पहुंच की सुविधा मुहैया कराना शामिल है। इस समय भारत सरकार 7 एफटीए पर बातचीत कर रही है।
