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उच्चस्तर पर पहुंचा मोबाइल ऑपरेटरों का कर्ज

Last Updated- December 12, 2022 | 3:02 AM IST

रिलायंस जियो को छोड़कर मोबाइल ऑपरेटर अनुमान के मुकाबले ज्यादा दबावपूर्ण वित्तीय स्थिति में हैं।
चार दूरसंचार ऑपरेटरों – भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, भारत संचार निगम (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम (एमटीएनएल) की संयुक्त उधारी इस साल मार्च के अंत में 3.85 लाख करोड़ रुपये के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। पिछले वित्त वर्ष सालाना आधार पर कंपनियों का संयुक्त ऋण 22.4 प्रतिशत तक बढ़ गया था, जबकि पूर्ववर्ती वर्ष में उनकी उधारी में 8.3 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया था।
इसके परिणामस्वरूप, दूरसंचार ऑपरेटरों का कर्ज-पूंजी अनुपात भी मार्च 2020 के अंत में जहां 2.3 गुना था, वहीं इस साल मार्च के अंत में यह 6.83 गुना के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
इसकी मुख्य वजह इन सभी कंपनियों द्वारा दर्ज किए गए बड़ा नुकसान था। चारों ऑपरेटरों का संयुक्त शुद्घ नुकसान वित्त वर्ष 2021 में 70,000 करोड़ रुपये पर रहा। इसके साथ, ऑपेटरों ने पिछले पांच साल में 2.45 लाख करोड़ रुपये का शुद्घ नुकसान दर्ज किया है, जो इस अवधि के दौरान उनके कुल राजस्व के करीब एक-तिहाई के बराबर है।
तुलनात्मक तौर पर, इन कंपनियों की संयुक्त शुद्घ बिक्री वित्त वर्ष 2021 में महज 6.2 प्रतिशत तक बढ़ी, जो पूर्ववर्ती वर्ष में दर्ज की गई 10.6 प्रतिशत से कम है।
इसके विपरीत, रिलायंस जियो करीब कर्ज-मुक्त बैलेंस शीट के साथ काफी आकर्षक बनी हुई है और उसकी नेटवर्थ अब उसकी चार प्रतिस्पर्धियों की संयुक्त पूंजी के करीब साढ़े तीन गुना पर है। इस साल मार्च के अंत में दूरसंचार ऑपरेटरों की संयुक्त पूंजी 56,400 करोड़ रुपये के मुकाबले रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक इकाई ने 1.83 लाख करोड़ रुपये की नेटवर्थ दर्ज की।
तुलनात्मक तौर पर, रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने इस साल मार्च के अं में 11,196 करोड़ रुपये का सकल ऋण दर्ज किया, जो मार्च 2019 के 81,037 करोड़ रुपये के सर्वाधिक ऊंचे कर्ज स्तर और एक साल पहले के 23,242 करोड़ रुपये से कम है।
रिलायंस जियो ने वित्त वर्ष 2021 में 70,436 करोड़ रुपये का राजस्व और करीब 12,000 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ दर्ज किया। इसके परिणामस्वरूप, जियो का अब पांच ऑपरेटरों के संयुक्त राजस्व में करीब 30 प्रतिशत  और उनके संयुक्त ऋण में 3 प्रतिशत योगदान है।
कई विश्लेषकों को आशंका है कि स्थिति इसलिए भी बदतर है क्योंकि वित्तीय रूप से मजबूत भारती एयरटेल भी भारी भरकम कर्ज से जूझ रही है। कंपनी का समेकित ऋण इस साल मार्च के अंत में 1.63 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था, जबकि उसका कर्ज-पूंजी अनुपात एक साल पहले के 1.9 गुना से बढ़कर इस साल मार्च के अंत में 2.8 गुना पर पहुंच गया था।
कंपनी का वित्तीय अनुपात भी खराब हुआ है, भले ही वह पिछले तीन साल में करीब 65,000 करोड़ रुपये की ताजा पूंजी उगाही में सफल रही है। वित्त वर्ष 2021 में उसकी नेटवर्थ 24 प्रतिशत तक घटकर 59,000 करोड़ रुपये पर रह गई, जो पिछले आठ साल में सबसे कम है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे कंपनी को अपने 5जी नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए जरूरी पूंजीगत खर्च में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे वह जियो के हाथों बाजार भागीदारी गंवाने को बाध्य हो सकती है।
दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसकी वित्तीय देनदारी और राजस्व के बीच बढ़ती असमानता है। ऑपरेटरों का संयुक्त राजस्व वित्त वर्ष 2016 से सपाट बना हुआ है, लेकिन उनका कर्ज 127 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि सालाना ब्याज भुगतान इस अवधि में तीन गुना हो गया।
इससे इन कंपनियों को गहरे नुकसान के दलदल में फंसने के लिए बाध्य होना पड़ा है और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर हैं।

First Published - July 4, 2021 | 11:42 PM IST

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