इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) का कहना है कि थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन एवं सोशल मीडिया समूहों द्वारा समाचार पत्रों के पीडीएफ का प्रसार अवैध है। देश में समाचार पत्रों के उद्योग निकाय के अनुसार, वर्ष 2020 के शुरुआती दिनों में लॉकडाउन के बाद से पीडीएफ साझा करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है और यह बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन है जो उद्योग को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ समाज के लिए एक संभावित खतरा है। आईएनएस के अनुसार, बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों के पीडीएफ प्रसारित होने से उनके राजस्व पर असर पड़ रहा है और विश्वसनीय समाचार एकत्र करने से लेकर प्रकाशित करने तक की उनकी क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं। आईएनएस के उपाध्यक्ष मनीष जैन ने कहा, ‘पत्रकारों के साथ ही उत्पादन एवं वितरण क्षेत्र के कर्मचारियों का एक बड़ा समूह अखबार को प्रकाशित करने में शामिल होता है। लेकिन कुछ ऐसे समूह सामने आए हैं, जो सुबह जल्दी पेपर की पीडीएफ बनाकर उसे मौद्रिक या सामाजिक लाभ के लिए ऑनलाइन वितरित करते हैं। हालांकि, इस अभ्यास के चलते वास्तविक उत्पादन में लगे कर्मचारी और मीडिया कंपनी के प्रयासों को ठेस पहुंचती है। यह वेबसाइट पर किसी फिल्म के पायरेटेड संस्करण को जारी करने जैसा है।’
कई अध्ययन एवं शोध अखबारों की प्रति को पूरी तरह से सुरक्षित घोषित कर चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद, महामारी के बाद समाचार पत्रों के ऑनलाइन संस्करण की मांग बढ़ी है। अधिकांश प्रमुख समाचार पत्र कंपनियों ने ई-पेपर पढऩे और पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए सबस्क्रिप्शन मॉडल जारी किया है लेकिन टेलीग्राम, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ समूह शुरुआती घंटों में ही पीडीएफ की नकल कर लेते हैं और उन्हें मुफ्त में प्रसारित करते हैं।
आईएनएस का अनुमान है कि महामारी के चलते समाचार पत्रों की बिक्री में गिरावट आई है और अगर कंपनियों को पीडीएफ संस्करणों से मिलने वाले राजस्व में भी कमी आएगी तो कर्मचारियों को भुगतान करने एवं भविष्य की परियोजनाओं में पुनर्निवेश की उनकी क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित होगी। सोशल मीडिया और अन्य तरीकों के माध्यम से समाचार पत्रों के पीडीएफ का व्यापक प्रसार पहले से ही आहत मीडिया कंपनियों के राजस्व में सेंध लगाकर समाचार मीडिया उद्योग को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कोरोना महामारी एवं उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन ने अखबार के कारोबार को बाधित किया है जिससे वित्तीय हालात नाजुक हैं। खराब आर्थिक विकास और डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में पहले से ही समाचार पत्रों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। बिजनेस इंटेलीजेंस फर्म टॉफलर का कहना है कि देश की सबसे बड़ी प्रिंट मीडिया कंपनी, बेनेट कोलमैन ऐंड कंपनी (बीसीसीएल) को वर्ष 2019-19 में 454 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ जबकि 2018-19 में 484 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। इसका परिचालन राजस्व सालाना आधार पर 3.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 9,254.5 करोड़ रुपये पर आ गया जिसका प्रमुख कारण विज्ञापनों की गिरती दरों के चलते विज्ञापन राजस्व में 13 प्रतिशत की गिरावट रहा। कोरोना महामारी ने प्रिंट मीडिया कंपनियों के वित्तीय लेखा जोखा को प्रभावित किया है। हालांकि, बीसीसीएल के नवीन आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन प्रिंट मीडिया की एक और प्रमुख कंपनी एचटी मीडिया के वित्तीय आंकड़े इस प्रवृत्ति को दर्शाती है। अप्रैल-जून तिमाही में, एचटी की कुल आय सालाना 59 प्रतिशत गिरकर 238.7 करोड़ रुपये हो गई, जो सितंबर तिमाही में यह पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 48 प्रतिशत कम रही। आईएनएस अब विभिन्न प्लेटफार्मों पर इस मामले को उठा रहा है और सभी हितधारकों से अपील कर रहा है कि वे समाचार पत्रों के पीडीएफ को अवैध रूप से साझा करने के खिलाफ कार्रवाई करें।