इंटरनेट और कंप्यूटर ने जहां नए तरह के विश्व के लिए दरवाजे खोल दिए हैं, वहीं संचार का यह तीव्रतम साधन व्यापार के लिए भी वरदान साबित हुआ है।
पोर्टल, ई-कॉमर्स, ई-गवर्नेंस के बाद करीब 6 साल पहले लेखन की नेट विधा यानी ब्लॉगिंग ने अभिव्यक्ति और विचार संप्रेषण को नए पंख दे दिए। आज हर क्षेत्र में ब्लॉगिंग है- राजनीति, खेल, विज्ञान, शेयर, वित्त बाजार, साहित्य-इतिहास, धर्म और कॉरपोरेट।
राजीव करवाल और प्रीति चतुर्वेदी की नई किताब ‘कॉरपोरेट ब्लॉगिंग इन इंडिया’ में ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और बताया गया है कि ब्लॉग किस तरह न केवल व्यक्ति बल्कि कारपोरेट जगत का भी एक अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं।
कंपनियां और सीईओ इन ब्लॉग का इस्तेमाल अपना कारोबार बढ़ाने, कंपनी के कारिंदों से जुड़ने, किसी उत्पाद या सेवा पर उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया लेने और बिक्री टीम को प्रोत्साहित करने के लिए कर रहे हैं।
विजडम ट्री द्वारा प्रकाशित 127 पेज की इस किताब में ब्लाग के इतिहास और इनकी बढ़ती रफ्तार को न केवल खंगाला गया है बल्कि यह भी बताया गया है कि कैसे कंपनी जगत इसका इस्तेमाल अपना व्यापार बढ़ने में कर रहा है। भारत का कंपनी जगत भी इस नए माध्यम का उपयोग अपने ब्रांड को स्थापित करने और अपने कामकाज के विस्तार में कर रहा है।
अब अगर कंपनी का सीईओ या चेयरमैन खुद ब्लॉग लिखे तो स्वाभाविक रूप से उसे प्रतिक्रिया भी अच्छी मिलती है जैसे नौकरी डॉट कॉम के सीईओ संजीव बिकचंदानी ने 1 मई 2007 को विजडम इन हिंदसाइट शीर्षक से महज कुछ शब्द लिखे तो उन्हें हर क्षेत्र के लोगों-उद्यमियों, व्यापारियों, छात्रों और बेरोजगारों की हजारों टिप्पणियां मिलीं।
आज चाहे इन्फोसिस के नंदन नीलेकणि हों या सिफी डॉट कॉम के अजित बालकृष्णन या नेटकोर के राजेश जैन या फिर एचसीएल के विनीत नायर हों, सभी ब्लॉगिंग करते हैं। कंपनियों के दिग्गज अपने ब्लॉग में देश-दुनिया में घट रही घटनाओं पर राय भी व्यक्त करते हैं।
भारत में ब्लॉग एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, उससे दूसरे लेखक भी जुड़े हैं। जैसे इन्फोसिस के ही 9 ब्लॉग हैं। जीएम के फास्टलेन ब्लॉग पर एक दिन में ढाई लाख हिट हो चुके हैं। पुस्तक कहती है कि कंपनियों ने कई कारणों से कॉरपोरेट ब्लॉगिंग का रास्ता चुना होगा। इसमें आंतरिक संचार और परियोजना प्रबंधन से लेकर ब्रांड और मार्केटिंग की रणनीति शामिल रही है।
देश-दुनिया में मार्केटिंग ने लंबा सफर तय किया है और यह सीधे दोतरफा संचार की विधा रही है। अब ब्लॉग के जरिये फिर से यह उसी राह पर है। आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि कॉरपोरेट ब्लॉग से अपने ग्राहकों, डीलरों और कर्मियों को कैसे संदेश पहुंचाया जाए। जनता तक पहुंचने का यह सबसे सस्ता साधन है।
नाइक का एक कमर्शियल जब कुछ लोगों ने यू-टयूब पर डाला तो उसे 1.60 करोड़ लोगों ने देखा। इमर्जिक-ओआरजी टेक्नोलॉजी की दुनिया और उद्यमशीलता से रूबरू कराती है। लेखकों का मानना है कि जो कंपनी ऑनलाइन मौजूदगी मजबूती से जताना चाहती है, उसके लिए ब्लॉग निश्चित ही एक अच्छा तरीका है।
ईबे इंडिया ने अपने 20 लाख सदस्यों को अपने ब्लॉग की इजाजत दी तो उसमें विक्रेता अपने उत्पादों के साथ पहुंच गएं। वे खरीदारों को अपने उत्पादों के बारे में बताते हैं और उन्हें बेचते भी हैं। लेखकों की राय में मार्केटिंग का पुराना तरीका अब अप्रचलित होता जा रहा है और नया माध्यम जल्दी और सीधे तौर पर ग्राहकों तक पहुंच रहा है।
मसलन, ईबे में एक खिलौना निर्माता ने अपने शैक्षणिक खिलौनों के बारे में ब्लॉग बना रखा है। हिन्दुस्तान यूनिलीवर की सनसिल्कगैंगऑफगर्ल्स डॉट कॉम से तीन साल में ही 5.4 लाख सदस्य, 30 हजार गैंग और 2500 ब्लॉगर जुड़ गए हैं। सोशल नेटवर्किंग साइटों ऑर्कुट, माइस्पेस, फेसबुक जैसी साइटें काफी लोकप्रिय हैं।
संभावनाएं
ब्लॉग में कमाई की अपार संभावनाएं हैं। अगर आप निजी ब्लॉग लिखते हैं और उसके साथ अन्य लोग भी जुड़े हैं तो उससे आय भी हो सकती है। महज शौक से शुरू हुआ ब्लॉग कालांतर में आपको प्रतिष्ठित भी कर सकता है।
इराक में तैनात एक अमेरिकी सैनिक कॉल्बी बजेल ने ब्लॉग लिखा। उस पर किसी प्रकाशक की नजर पड़ गई और उसने उसे पुस्तक के रूप में छापकर सैनिक कॉल्बी नाम और धन दोनों दिए। भारत की मीनाक्षी रेड्डी माधवन ने महानगर में अकेली लड़की के अनुभव लिखे। पेंग्विन इंडिया की उन पर नजर पड़ी और अब उनके लेखों का पूरा उपन्यास आ रहा है।
इसके अलावा निजी ब्लॉग में अगर ‘हिट्स’ ज्यादा हैं तो उसे विज्ञापन भी मिल सकते हैं जो आय का नियमित साधन बन सकते हैं। भाषायी ब्लॉग में भी व्यापक संभावनाएं हैं। खासतौर से हिंदी में तो ब्लॉग का दायरा काफी बढ़ गया है। हिन्दी साहित्य और अन्य विषयों पर काफी ब्लॉग चल रहे हैं।
मराठी, तमिल, कन्नड़, गुजराती, बंगाली और मलयालम में भी ब्लॉग की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। लेखकों के अनुसार ब्लॉगिंग का नया रूप माइक्रो ब्लॉगिंग भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। नई तकनीक के मोबाइलों के कारण भी माइक्रो ब्लॉगिंग ब्लॉगर की पसंदीदा बन रही है। माइक्रो ब्लॉगिंग एकदम ब्लॉगिंग जैसी ही है जिसमें एसएमएस जैसी संक्षिप्त टिप्पणी होती है। टि्वटर और जाइकु इस क्षेत्र में अग्रणी हैं।
पुस्तक समीक्षा
कॉरपोरेट ब्लॉगिंग इन इंडिया
लेखक : राजीव करवाल और प्रीति चतुर्वेदी
प्रकाशक : विसडम ट्री
कीमत : 345 रुपये
पृष्ठ : 127
