मंदी की तपिश को कम करने के लिए प्राइवेट एफएम रेडियो ऑपरेटर्स अब विज्ञापनों की कीमतों में कमी का नुस्खा अपना रहे हैं।
एफएम ऑपरेटर विज्ञापन की कीमतों में 10-15 फीसदी की कटौती करेंगे। हालांकि रेडियो पर सुनाए जाने वाले विज्ञापनों को आकर्षित करने के लिए एफएम आपरेटर मूल्य वर्धित सेवाएं मुहैया कराएंगे और साथ ही जमीनी स्तर पर कई कार्यक्रम भी चलाएंगे।
दिसंबर 2008 की अंतिम तिमाही के दौरान कुछ बड़े विज्ञापनदाताओं ने एफएम रेडियो चैनलों को दिए जाने वाले विज्ञापनों में कटौती कर दी थी।
एक अग्रणी मीडिया एजेंसी साउथ ईस्ट एंड साउथ एशिया, स्टारकॉम मीडियावेस्ट गु्रप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि किरण ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘रियल एस्टेट जैसे बड़े विज्ञापनदाताओं ने एफएम रेडियो के लिए किए जाने वाले विज्ञापन खर्चों में 21 फीसदी तक की कटौती कर दी है। इसी तरह जीवन बीमा ने 60 फीसदी, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में 30 फीसदी, मोबाइल फोन सेवाओं में 4 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है।’
किरण ने यह भी बताया कि डिजर्डेंट और बिस्कुट विज्ञापनों को तो पूरी तरह बंद ही कर दिया गया है। टैम मीडिया रिचर्स की शाखा एडेक्स इंडिया के मुताबिक साल 2007 की समान अवधि के तुलना में दिसंबर 2008 की अंतिम तिमाही में रेडियो इंडस्ट्री को मिलने वाली विज्ञापनों में 14 फीसदी तक की कमी आ गई है।
यही नहीं अगर पिछले दो सालों की तुलना में वर्ष 2008 की बात करें तो इस साल रेडियो इंडस्ट्री में मामूली 3 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई जबकि जबकि इस इंडस्ट्री में विज्ञापनों का वाल्यूम प्रति वर्ष 20 फीसदी बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान रेडियो इंडस्ट्री की कमाई 750 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी। यहां रेडियो इंडस्ट्री का तात्पर्य प्राइवेट एफएम चैनलों और ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) से है।
इंटरटेनमेंट नेटवर्क ग्रुप के एफएम रेडियो चैनल रेडियो मिर्ची के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत पाण्डेय ने बताया, ‘यह संभावना जताई जा रही थी कि इस इंडस्ट्री की कमाई 950 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर जाएगी, लेकिन दिसंबर महीने के खराब नतीजे आने के बाद अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान वित्त वर्ष में कमाई 850 करोड़ रुपये के आसपास ही रहेगी। इसमें कोई शक नहीं कि प्राइवेट सेक्टर के एफएम ऑपरेटर्स मंदी और उसके विपरीत असर को साफ देख रहे हैं।’
शुरुआत में प्राइवेट एफएम रेडियो मार्केट के नए खिलाड़ियों ने साल 2008 में प्रति 10 सेकंड विज्ञापन स्लॉट के लिए 1500-2500 रुपये कीमत निर्धारित किए थे। इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस इंडस्ट्री के बड़े खिलाड़ी विज्ञापन स्पेस के लिए जो कीमत तय किए हुए थे, उस पर नए खिलाड़ी 50 फीसदी कम पर विज्ञापन स्पेस बेचते थे।’
विशेषज्ञों ने बताया, ‘इस इंडस्ट्री में 10 सेकंड की स्पेस के लिए विज्ञापन दरों में 10-15 फीसदी की कमी होगी। इसके अलावा, रेडियो ऑपरेटर्स मूल्य वर्धित सेवाओं की पेशकश करेंगे ताकि विज्ञापन बाजार को रिझाया जा सके।’