टीवी पर मनोरंजन के लिए आ रही आसमानी तरंगे लोगों को अब और महंगी पड़ने वाली हैं।
क्योंकि देश में डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा का लुत्फ उठा रहे करीब 50 लाख उपभोक्ताओं को अब एक अन्य तकनीक ‘ट्रांसकोडर्स’ का इस्तेमाल करने के लिए अतिरिक्त 400 से 600 रुपये खर्च करना पड़ सकता है। अगर मौजूद सेट टॉप बॉक्स के उपभोक्ता इस सेवा के बजाए बिग टीवी (रिलायंस एडीए ग्रुप), भारती या सन डायरेक्ट का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें ट्रांसकोडर नामक हार्डवेयर का इस्तेमाल करना होगा।
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीईएस) के सूत्रों के मुताबिक उपभोक्ताओं को ट्रांसकोडर मुहैया कराने का जिम्मा डीटीएच की नई कंपनियों पर होगा। दरअसल, बीईएस को डीटीएच सेटटॉप बॉक्स की तकनीकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। बाद में इस रिपोर्ट को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आई बी) को सौंपा जाएगा।
डीटीएच लाइसेंसिंग प्रावधानों में मौजूद तकनीकी क्षमताओं से संबंधित नियम और शर्त सभी डीटीएच सेवा प्रदाताओं के लिए जरूरी होंगे। सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं के लिए तकनीकी रूप से सक्षम डीटीएच सेटटॉप बॉक्स की व्यवस्था करेंगे, ताकि बिना किसी सेटटॉप बॉक्स के बदले उपभोक्ता आसानी से दूसरी डीटीएच ऑपरेटर में जुड़ सकें।
फिलहाल, डिश टीवी और टाटा स्काई (एमपीईजी-2) में तकनीकी रूप से अंतर होने की वजह से मौजूदा डीटीएच सेवा का इस्तेमाल कर रहे उपभोक्ता नए ऑपरेटर से नहीं जुड़ पाएंगे।