आज एचडीएफसी लाइफ ने घोषणा की कि वह 6,687 करोड़ रुपये में एक्साइड इंडस्ट्रीज प्रवर्तित एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस की 100 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। कंपनी ने इसको लेकर कहा कि इससे उसके मालिकाना व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। एचडीएफसी लाइफ की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विभा पडलकर ने सुब्रत पांडा के साथ बातचीत में सौदे की रूपरेखा और यह किस प्रकार से एचडीएफसी लाइफ को उद्योग में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने में मददगार साबित होगा, पर चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
मालिकाना व्यवसाय से इतर आपको किस बात ने एक्साइड लाइफ के अधिग्रहण के लिए प्रेरित किया?
पहली बात है बैक बुक (बुकों पर पुराने प्रीमियम भुगतान वाली पॉलिसियां) समुचित रूप से अच्छी गुणवत्ता की हैं जो हमारे अंतनिर्हित मूल्य को 10 फीसदी की अच्छी खासी बढ़त दिलाने में मददगार साबित होंगी। साथ ही, वे कुछ ऐसे भौगोलिक स्थानों पर मजबूत स्थिति में हैं जहां पर हम प्रवेश करना चाहते थे। ये वस्तुत: नगर और शहर हैं। लिहाजा अब हमारे पास इन स्थानों की पहुंच होगी और हमारे ब्रांड, हमारी डिजिटल उपस्थिति और हमारे पास उपलब्ध नए उत्पादों को देखते हुए यह सहूलियत हमें अपेक्षाकृत महंगे उत्पाद (अप सेल) और संबंधित उत्पाद (क्रॉस सेल) की बिक्री करने का अवसर मुहैया कराएगी। उनका ब्रोकरों और बजाज कैपिटल, एसवीसी बैंक आदि जैसे कॉर्पोरेट एजेंटों के बड़े खेमे से संबंध है। इन सब बातों पर गौर करें तो यह एक संपूर्ण अधिग्रहण है।
क्या मूल्यांकन उचित है?
मुझे ऐसा ही लगता है। एचडीएफसी लाइफ को छोड़कर औसत मौजूदा मूल्यांकन (अंतनिर्हित मूल्य) 3.5 है और 2.47 का भुगतान किया है जो कि 30 फीसदी कम है। अंतत: यह बातचीत से संपन्न हुआ सौदा है लेकिन हम मानते हैं कि छोटे आकार और इस तथ्य को देखते हुए कि वे इस क्षेत्र को खाली कर रहे हैं, 30 फीसदी की छूट मिलना उचित कहा जाएगा। साथ ही साझेदारी आकार के संदर्भ में पूरे किए गए कुछ सौदे मूल्यांकन के दृष्टिïकोण से बहुत भिन्न नहीं रहे हैं। अत: हम मानते हैं कि यह काफी हद तक उसी दायरे में है।
क्या यह बीमा क्षेत्र में समेकन का आरंभ है जहां छोटी कंपनियों का अधिग्रहण बड़ी कंपनियां करेंगी?
यह संभव है। लेकिन छोटी कंपनियों के पास कुछ विश्वसनीय स्तर का कारोबार होना चाहिए जिससे कि वह यह बता सकें कि कारोबार पर उनकी अच्छी पकड़ है।
एचडीएफसी लाइफ के मार्जिन में यह अधिग्रहण कैसे मददगार होगा?
इसमें थोड़ा अधिक वक्ता लगेगा क्योंकि विलय का पहला चरण पूरा होने में 4-5 महीनों का वक्त लगेगा जब एक्साइड लाइफ एचडीएफसी लाइफ की सहायक कंपनी बन जाएगी। उसके बाद एनसीएलटी की प्रक्रिया पूरी होगी। ऐसे में 12 से 15 महीनों बाद मार्जिन पर पूरा असर समझ आएगा।
क्या आप अब भी वृद्घि के लिए विलय एवं अधिग्रहण के अवसरों की तलाश में रहेंगी? यदि हां, तो क्यों?
अच्छे माहौल में नए कारोबार में वृद्घि करना जारी रखेंगे और हम उद्योग के मुकाबले ज्यादा तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। अगर कहीं अन्य भौगोलिक क्षेत्रों, उपभोक्ता सेग्मेंट या वितरण में क्षमता विस्तार का मौका मिलता है तो हम उस पर भी विचार करेंगे, क्योंकि हमारे पास अधिग्रहण के लिए मुद्रा, बैलेंस सीट का आकार है।