चालू वित्त वर्ष के दौरान आईटी सेवा कंपनियों के लाभांश भुगतान में पिछले वर्ष के मुकाबले गिरावट दिख सकती है क्योंकि कोरोनावायरस के कारण पैदा हुई मंदी से निपटने के लिए कंपनियां आक्रामक तौर पर नकदी संरक्षण पर ध्यान दे रही हैं। शुद्ध मुनाफे में गिरावट के कारण मुक्त नकदी प्रवाह में कमी, कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण अतिरिक्त खर्च में वृद्धि और संभावित अधिग्रहण के लिए नकदी संरक्षण को इस परिदृश्य के संभावित कारकों के तौर पर देखा जा रहा है।
एक्सफिनिटी वेंचर पार्टनर्स के चेयरमैन और इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ एवं बोर्ड सदस्य वी बालकृष्णन ने कहा, ‘लाभांश नीति में इस वित्त वर्ष के दौरान बदलाव आएगा। इसका मुख्य कारण यह है कि कंपनियां संभावित अधिग्रहण के लिए नकदी संरक्षित करना चाहती हैं ताकि उद्योग में नकारात्मक वृद्धि से निपटते हुए वृद्धि को रफ्तार दी जा सके।’
आमतौर पर आईटी सेवा कंपनियां नियमित अंतराल पर शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा अंतरिम एवं वार्षिक लाभांश के रूप में अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त नकदी लौटा देती हैं। नकदी संपन्न उद्योग होने के कारण नियमित लाभांश भुगतान एवं शेयर मूल्य में तेजी के मद्देनजर निवेशक आईटी शेयरों में लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं। कमजोर मांग के कारण पिछले वित्त वर्ष के दौरान आईटी कंपनियों के लाभांश भुगतान में पहले ही कटौती देखी गई है। हालांकि बाजार की अग्रणी कंपनी टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) इसका अपवार रही।
वित्त वर्ष 2019-20 में टीसीएस ने लाभांश भुगतान के रूप में अपने शेयरधारकों को 31,895 करोड़ रुपये लौटाए जो कंपनी के मुक्त नकदी प्रवाह का 108.9 फीसदी था। वित्त वर्ष 2019 में लाभांश भुगतान अनुपात 110.2 फीसदी रहा जबकि वित्त वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 106 फीसदी रहा था।
देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस का मुक्त नकदी प्रवाह के लिहाज से लाभांश भुगतान अनुपात 53.5 फीसदी रहा। जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 68.1 फीसदी और वित्त वर्ष 2018 में 69.8 फीसदी रहा था। जहां तक विप्रो का सवाल है तो शुद्ध आय के मुकाबले भुगतान अनुपात वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2019 की अवधि में 60.7 फीसदी रहा। ब्रोकरेज फर्म शेयरखान के प्रमुख (अनुसंधान) संजीव होता ने कहा, ‘एकमात्र कंपनी टीसीएस को अपवाद के तौश्र पर छोड़ दिया जाए तो टियर-1 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले वित्त वर्ष 2020 में अपने लाभांश भुगतान अनुपात को कम कर दिया है। वैश्विक महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में भी लाभांश
भुगतान अनुपात प्रभावित हो सकता है क्योंकि आईटी कंपनियां नकदी संरक्षण पर ध्यान दे सकती हैं ताकि संभावित अधिग्रहण के अलावा अतिरिक्त खर्च को पूरा किया जा सके।’
कोटक इंस्टीट््यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2020 में लाभांश भुगतान निराशाजनक रहा जबकि कम पूंजीगत खर्च के साथ नकदी प्रवाह की स्थिति दमदार रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन्फोसिस ने वित्त वर्ष 2020 में मुक्त् नकदी प्रवाह का महज 55 फीसदी भुगतान किया। जबकि एचसीएल टेक्नोलॉजिज का लाभांश भुगतान हमें निराश किया जो उसके शुद्ध लाभ का करीब 20 फीसदी रहा। टेक महिंदद्रा का लाभांश भुगतान भी बेहतर हो सकता था। टीसीएस एकमात्र ऐसी कंपनी रही जिसने दमदार लाभांश भुगतान किया।’
सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 में भी यही स्थिति बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि कंपनियां पूंजी आवंटन नीतियों को निर्धारित करने से पहले अपनी प्राथमिकताओं को ध्यान में रख रही हैं।
मुंबई के एक बाजार विश्लेषक ने कहा, ‘टेक महिंद्रा को इस वित्त वर्ष के लिए लाभांश भुगतान पर निर्णय लेने से पहले परिचालन मार्जिन पर दबाव के बारे में गौर करना होगा। विप्रो के प्रबंधन में बदलाव का असर उसकी पूंजी आवंटन नीति पर भी दिख सकती है। इसी प्रकार एचसीएल टेक्नोलॉजिज को हालिया आईपी खरीदारी के लिए आईबीएम की देनदारियों को पूरा करने पर ध्यान देना होगा और उसका प्रभाव चालू वित्त वर्ष में उसके लाभांश भुगतान पर भी दिखेगा।’