वित्त मंत्री को जब हर जगह से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कौशल विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए वाहवाही मिल रही थी, वहीं देश का यह उद्योग उनकी बातों से उत्साहित नहीं दिखा।
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार का आंकड़ा लगभग 20 लाख होने वाला है, जिसमें वित्त वर्ष 2007 में 3 लाख 75 हजार प्रोफेशनल्स को रोजगार प्राप्त हुआ था। सूचना प्रौद्योगिकी सेवा निर्यात, बीपीओ निर्यात और घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग क्रमश: 8,65,000, 7,04,000 और 4,27,000 प्रोफेशनल को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। न सिर्फ इतना, बल्कि उद्योग की बदौलत कई लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार मिला है। नैसकॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को 2009 तक लगभग 2.62 लाख लोगों की कमी का सामना करना पड़ेगा। अगर ऐसा है तो बजट के इस प्रस्ताव के बावजूद उद्योग में खुशी की लहर का कोई नामोनिशान क्यों नजर नहीं आ रहा?
इन्फोसिस टेक्नोलॉजीस के मानव संसाधन प्रमुख, मोहनदास पाई का कहना है, ‘भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग पर इस घोषणा का बहुत कम असर होने वाला है। इसका फायदा निर्माण क्षेत्र को ज्यादा होगा। इन घोषणाओं का फायदा उद्योग को अब से पांच साल बाद मिलने वाला है, तो ऐसे में हमें अभी खुश होने के लिए कोई वजह नजर नहीं आती।’
पाई की इस बात से उद्योग विश्लेषक प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के कार्यकारी निदेशक शिवरमनकृष्णन भी इत्तफाक रखते हैं। उनका कहना है, ‘आज कोई भी खुश नहीं है, क्योंकि इन घोषणाओं को फायदा भविष्य में होने वाला है, जबकि इसकी जरूरत आज ज्यादा है। बजट में की गई घोषणाओं में भी चुनावी एजेंडा ज्यादा दिखाई दे रहा है, जबकि इस समस्या का जिक्र हमने काफी पहले ही कर दिया था।’
इसके आगे शिवरमनकृष्णन का कहना है, ‘इन घोषणाओं का तात्कालिक प्रभाव तो तभी देखा जा सकता है जब कारोबारी कंपनियां कौशल विकास जैसे विषयों पर लोगों को प्रोत्साहित करने लगे। ऐसी स्थिति में इन प्रयासों का ज्यादा प्रभाव होगा और साथ ही इस समस्या का समाधान भी निकल आएगा।’
क्वाटरो बीपीओ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रमन रॉय का कहना है कि आज हमारे देश की महत्त्वपूर्ण समस्या ‘शिक्षित बेरोजगार’ लोग हैं। सरकार के ये कदम बेशक कुशल लोगों की कमी को पूरा करने के लिए सही दिशा में उठे कदम हैं। छोटी कंपनियों के पास इस तरह के संसाधन नहीं होते। ऐसे में यह उपाय उनकी मदद करेंगे। और इसके अलावा अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
नैसकॉम के उपाध्यक्ष अमीत निवसरकार का मानना है कि इन घोषणाओं का भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपीआई) योजनाओं की तरह कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा। ‘हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं, जो सही दिशा में है। लेकिन इन घोषणाओं पर हकीकत में अमल कैसे किया जाता है, यह देखने के लिए कुछ और देर रुकना होगा। इनका असर तो भविष्य में पांच सालों तक ही देखा जा सकेगा।’
