पत्तन प्राधिकरण में निवेश की सीमा को करीब 72 प्रतिशत बढ़ाया गया है। चालू वित्तीय वर्ष में यह 1961.41 करोड़ है जिसे अगले वर्ष के लिये बढ़ाकर 3377.10 करोड़ कर दिया गया है। इस पैसे का इस्तेमाल कोलकाता और चेन्नई समेत कई हवाईअड्डों का आधुनिकीकरण में किया जाएगा।
ऐसी उम्मीदें थीं कि एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइंस के विलय के बाद उपजी नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड(एनएसीआईएल) वर्ष 2008-09 में घरेलू और बाहरी व्यावसायिक ऋणों के जरिए करीब 9572.42 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रहेगी। लेकिन बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों की प्राप्ति में हो रही देरी के चलते निवेश परिव्यय योजना में से 3785.94 करोड़ रुपये कम कर दिये गये हैं। अब वर्ष 2008-09 के लिये निवेश योजना के तहत केवल 5786.48 करोड़ रुपये ही रखे गए हैं। एनएसीआईएल के वित्त निदेशक एस वेंकट कहते हैं कि 2008-09 में हमें पांच ड्रीमलाइनर विमान मिलने थे लेकिन इसे अगले साल तक के लिए टाल दिया गया है।इसी वजह से निवेश के लिए निर्धारित राशि में से एक बड़ा हिस्सा कम कर दिया गया है।
सेंटर फार एशिया पैसिफिक एविएशन के मुख्य कार्यकारी(भारतीय उपमहाद्वीप)कपिल कौल कहते हैं कि इन सुपुर्दगियों को 2009-10 तक के लिए टाल दिया गया है लेकिन अगले वर्ष के लिए आवंटित की गई निवेश राशि में ही और ज्यादा आदेश मिलने की संभावना है।
जहां तक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के लिए रखी गई निवेश राशि से चेन्नई और कोलकाता समेत देश के 35 गैर-महानगरीय हवाई अड्डों क ा आधुनिकीकरण किया जाएगा। नागरिक उड्ड़यन विभाग में संयुक्त सचिव केएन श्रीवास्तव कहते हैं कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत प्राधिकरण हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण में 12000 करोड़ रुपये खर्च करेगा यानी हर साल औसतन 300 करोड़ रुपये का निवेश होगा। मतलब साफ है कि निवेश राशि बढ़ा दी गई है।
