अमेरिकी फंड इंटरप्स का कहना है कि एयर इंडिया में निवेश के लिए उसके पास 13,500 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध है और वह भारतीय विमानन क्षेत्र में ‘अरबों डॉलर’ का निवेश करने को तैयार है।
अमेरिकी ओटीसी सूचीबद्घ कंपनी का बाजार पूंजीकरण सिर्फ 2.8 करोड़ डॉलर है और वह लवासा कॉरपोरेशन, एशियन कलर कोटेड स्टील और रिलायंस नवल समेत भारत में कई दिवालिया कंपनियों के लिए बोली लगा चुकी है। ऋणदाताओं का कहना है कि वे यह देखना चाहेंगे कि कंपनी अपनी बोलियों पर आगे बढऩे से पहले भारत में अपने अधिग्रहणों के लिए कोष की व्यवस्था कैसे करेगी।
एयर इंडिया की बोली के लिए इंटरप्स ने एयरलाइन के कुछ कर्मचारियों के साथ हाथ मिलाया है और वह अपनी कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधित परिसंपत्तियों को विमानन इनविट में अलग कर कोष जुटाना चाहती है। इस इनविट में एयर रूट्स, ग्राउंड हैंडलिंग, रिपयेर्स, और ट्रेनिंग आदि जैसी परिसंपत्तियां होंगी।
इंटरप्स के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद का कहना है कि एयर इंडिया के लिए उनकी बोली राष्ट्रीय और सरकार के हित में है, जिससे कर्मचारियों का हित भी सुरक्षित होगा। टाटा की बोली के बारे में प्रसाद ने कहा कि वे उस मूल्यांकन के लिए किसी तरह की दावेदारी नहीं देख रहे हैं जो वे एयर इंडिया के लिए पेश करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि कोई हमारे ऑफर के मुकाबले बेहतर पेशकश करता है और उससे सरकार को मदद मिलती है तो मुझे इसका स्वागत करने में प्रसन्नता होगी।’
कंपनी ने एयर इंडिया के कर्मियों के साथ मिलकर एक कंसोर्टियम बनाया है और कर्मचारियों ने 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की योजना बनाई है और सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचे जाने के बाद इंटरप्स शेष हिस्सेदारी रखेगी।
कंपनी ने एयर एशिया इंडिया में एयर एशिया बेरहाड की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 5 करोड़ डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन इसे टाटा संस से मंजूरी नहीं मिली, जिसे एएबी की हिस्सेदारी पर इनकार का पहला अधिकार है। अब इंटरप्स एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा संस से मुकाबला कर रही है।
एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘यह ऐसी प्रतिस्पर्धा है, जिसमें टाटा संस की जीत होगी। इंटरप्स को इस संदर्भ मे टाटा समूह को पीछे छोडऩे के लिए बड़ी वित्तीय ताकत की जरूरत होगी।’ उन्होंने कहा कि चूंकि एयर इंडिया बिक्री में राजनीतिक परिणाम भी जुड़े होंगे, इसलिए सरकार को किसी बोलीदाता को कंपनी सौंपने से
पहले अच्छी तरह से सोच-विचार करना होगा।
इंटरप्स ने कुछ मजबूत कंपनियों पर दांव लगाया है। पिछले साल जेएसडब्ल्यू स्टील को सबसे बड़ी बोलीदाता के तौर पर चुने जाने के बाद इस साल जून में, इंटरप्स ने एशियन कलर कोटेड स्टील लिमिटेड के लिए बोली लगाई थी।
लवासा के मामले में, इंटरप्स ने पुणे के बिल्डर अनिरुद्घ देशपांडे के साथ भागीदारी की थी।