इन्फोसिस के मुख्य वित्तीय अधिकारी जयेश संघराजका ने कहा कि कंपनी चालू वित्त वर्ष में नए इंजीनियरिंग स्नातकों की नियुक्ति के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
कंपनी ने वित्त वर्ष की पहली छमाही में करीब 12,000 ऐसे स्नातकों को नियुक्त किया जबकि अप्रैल में उसने लगभग 15-20,000 लोगों को नियुक्त करने का लक्ष्य रखा था। दूसरी तिमाही में इन्फोसिस ने 8,203 लोगों को नियुक्त किया, जिससे उसके कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 3,31,991 हो गई। इसके विपरीत, टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 19,755 घटकर 6,00,000 से नीचे आ गई। कर्मचारियों की संख्या में गिरावट मोटे तौर पर 14.3 फीसदी पर स्थिर रही।
एच-1बी वीजा के असर के बारे में पूछे जाने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख ने कहा कि केवल एक अल्पसंख्यक कार्यबल को ही कंपनी के प्रायोजन की आवश्यकता है जबकि बहुमत को इसकी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, हमने अमेरिका में डिजिटल नवाचार और एआई पर केंद्रित बहुत सारे केंद्र बनाए हैं। इन सबके साथ हमारा यह स्पष्ट विश्वास है कि हम सेवाओं में बिना किसी व्यवधान के काम करेंगे। हमने अपने सभी ग्राहकों से संपर्क किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सेवाएं सुचारू रूप से चलती रहे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के बाद से पिछले एक दशक में सभी भारतीय आईटी सेवा प्रदाताओं ने अमेरिका और अन्य इलाकों में अपनी स्थानीय नियुक्तियों में लगातार वृद्धि की है। इसमें विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करना और भारतीय कर्मचारियों को विदेश भेजने के लिए एच-1बी वीज़ा पर निर्भरता कम करने के लिए वहां से स्टेम स्नातकों की नियुक्ति करना शामिल है।
जैसे-जैसे वीजा मानदंड कठोर होते जाएंगे और देश आव्रजन पर रुढि़वादी नीतियां अपनाएंगे, निकटवर्ती केंद्रों का महत्व बढ़ने की उम्मीद है।
पारेख ने कहा, ऐसे केंद्र बेहद सफल रहे हैं और अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे हर भौगोलिक क्षेत्र में स्थानीयकरण के साथ ये केंद्र और भी परिपक्व हो गए हैं। हम कनाडा या मेक्सिको में ऐसे केंद्र बना रहे हैं और हमें विश्वास है कि बदलावों के साथ इनका विस्तार और ज्यादा होगा।