उद्योग

एक से डेढ़ वर्ष में लाएंगे नए मॉडल: रेनो इंडिया के वेंकटराम मामिलापल्ले

कंपनी के CEO वेंकटराम मामिलापल्ले ने शाइन जैकब के साथ बातचीत में कंपनी की पुनरुद्धार योजनाओं, नई पेशकश रणनीति और क्विड के भविष्य के बारे में बताया।

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शाइन जेकब   
Last Updated- September 18, 2024 | 10:41 PM IST

पिछले साल बिक्री में 33 फीसदी गिरावट दर्ज करने वाली रेनो इंडिया इस साल भी कठिन हालात का सामना कर रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी वेंकटराम मामिलापल्ले ने शाइन जैकब के साथ बातचीत में कंपनी की पुनरुद्धार योजनाओं, नई पेशकश रणनीति और क्विड के भविष्य के बारे में बताया। मुख्य अंश …

रेनो इंडिया ने पिछले कैलेंडर वर्ष में सिर्फ 52,620 वाहनों की बिक्री की, जो साल 2022 के मुकाबले 33 फीसदी कम है। आपकी पुनरुद्धार रणनीति क्या है?

हमने साल 2011 में डस्टर और क्विड पेश किया था। यह भारत में आने वाली दो सफल मॉडल रही। हमने कई अन्य उत्पाद भी पेश किए मगर उन सभी ने उस समय जो संभव था वह किया। साल 2019 में हमने ट्राइबर बाजार में उतारा था और वह भी काफी सफल रही। हमने बगैर किसी प्रतिस्पर्धा के बेहतर प्रदर्शन किया था।

हमें पता था कि ऐसी स्थिति हो जाएगी और हमने अपने सभी डीलरों को सभी सतर्क कर दिया था कि साल 2023 और 2024 कठिन होने वाला है। साल 2023 की शुरुआत में रेनो निसान ने हमारी छह नई पेशकश के लिए 5,300 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। हम पहले ही 70 फीसदी रकम लगा चुके हैं और हम अब उसी दिशा में काम कर रहे हैं।

नए मॉडल कब तक लाने की योजना है?

हम बहुत जल्द अपने नए मॉडल लाने की समयसीमा बताने वाले हैं, जिससे हमारा परिवर्तन शुरू हो जाएगा। सभी मॉडल अगले एक से डेढ़ साल के भीतर आ जाएंगे। यह थोड़े-थोड़े अंतराल पर किया जाएगा क्योंकि सभी डीलर और ग्राहक इसमें तालमेल बिठाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे। फिलहाल हम अपनी कुल 4.8 लाख संयंत्र क्षमता का सिर्फ 45 फीसदी ही चला रहे हैं। विस्तार से पहले हमें इसका पूरा उपयोग करना होगा।

मांग में गिरावट के साथ आप छोटों कारों का भविष्य कैसा देख रहे हैं?

जब तक विनियमन की अनुमति है तब तक हम इस श्रेणी में बने रहेंगे और इससे बाहर नहीं निकलेंगे। आज हम एक लीटर इंजन का उपयोग कर रहे हैं। अगर हम इस उत्सर्जन से परे जाएंगे तो हमें इंजन बदलना होगा या कारों का उत्पादन बंद करना होगा।

यह ऐसा फैसला जिसे हम आज नहीं ले सकते हैं क्योंकि हमारे वाहन कम से कम तब तक योग्य बने रहेंगे जब तक भारत में बीएस 7 नहीं आ जाता है। हमारे पास अभी पांच साल और हैं। अब सुरक्षा की बात आती है। हम छह एयर बैग के साथ आ सकते हैं और जब समय आएगा तब हम ऐसा करेंगे। हम सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए अपग्रेड करेंगे। हम कार का आकार नहीं बदलने वाले हैं।

खबर आ रही है कि आप क्विड ईवी लाने जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों पर आपकी क्या राय है?

हमारी एक ईवी आ रही है और यह जरूरी नहीं है कि यह क्विड होगी। यह कुछ और भी हो सकती है। इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ेंगे और कई नई कंपनियां भी दस्तक देंगी। यह मुख्य तौर पर शहरी इलाकों में होगा और परिवेश कमी के कारण ग्रामीण बाजार पर इसका कब्जा करना मुश्किल हो सकता है।

परिवेश महज चार्जिंग तक सीमित नहीं है बल्कि अन्य बुनियादी ढांचे के लिए भी है। यह परिपक्व होने में समय लगेगा। आपको अधिक बिजली उत्पादन की भी जरूरत होगी। आज हमारा कार बाजार 43 लाख कारों का है और साल 2032 तक करीब 70 लाख हो जाएगा। उस वक्त तक हमारे पास 10 से 12 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें यानी करीब 7 लाख कारें होंगी। उसके बाद ही ईवी बढ़ेगी और उसे प्राथमिकता मिलेगी।

क्या रूस-यूक्रेन युद्ध से निवेश पर असर पड़ा?

इसलिए हमारी पेशकश में देरी हुई। संकट के कारण ही रेनो की वैश्विक आर्थिक स्थिति प्रभावित हो गई। रूस में हमारे चार संयंत्र थे और हमने इसे सरकार को लगभग मुफ्त में दे दिया। इसका हमारी भारत में निवेश योजनाओं पर भी असर पड़ा।

वैकल्पिक ईंधन रणनीति पर आप क्या कहेंगे?

हम लैटिन अमेरिका और ब्राजील में एथनॉल में अग्रणी हैं और 100 फीसदी एथनॉल पर ही चलते हैं। मैं एथनॉल मिश्रण का कट्टर समर्थक हूं क्योंकि इससे किसानों को भी फायदा मिलता है। हम इससे कच्चे तेल पर होने वाले खर्च को भी कम कर सकते हैं। ईंधन की कीमत हो जाएगी और भारत का एक बड़ा हिस्सा ई-85 पर आ जाएगा।

First Published : September 18, 2024 | 10:41 PM IST