प्राइवेट कैपिटल खर्च में निरंतर वृद्धि होनी तय है। इसका कारण कंपनियों का लेखा-जोखा मजबूत होना और उधारी जुटाने में निरंतर वृद्धि होना है। यह जानकारी कॉरपोरट मामलों के मंत्रालय ने अपने हालिया न्यूजलेटर में दी है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के नवंबर के न्यूजलेटर में कहा गया है कि नई पंजीकृत कंपनियों की संख्या में इजाफा होना, स्टॉर्टअप का इकोसिस्टम तेजी से फलना-फूलना और तेजी से यूनिकॉर्न का बढ़ना कॉरपोरेट सेक्टर की मजूबती का सूचक है।
आरबीआई के अगस्त 2023 में प्रकाशित अध्ययन ‘निजी कॉरपोरेट निवेश : प्रदर्शन और निकट अवधि का आउटलुक’ में बताया गया है कि नया निजी कॉरपोरेट पूंजीगत चक्र शुरू हो रहा है और वित्त वर्ष 24 में पूंजीगत व्यय दशक के उच्च स्तर पर पहुंच सकता है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘वी 3 की शुरुआत (कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पोर्टल वर्जन 3) से डिजिटाइजेशन बढ़ा है। इससे डिजिटल फार्म के जरिये ‘कारोबार की सुगमता’ का पालन बढ़ा है।’
सरकारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर, 2023 तक कुल सक्रिय कंपनियां में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी 95.6 प्रतिशत है। वर्ष 2011 में भारत में सक्रिय कंपनियों की संख्या 7,18,592 थी और यह संख्या वर्ष 2023 में बढ़कर 15,19,782 हो गई।
नवंबर 2023 में सर्वाधिक कंपनियों का पंजीकरण महाराष्ट्र में (2,252) दर्ज हुआ था। इसके बाद उत्तर प्रदेश (1,487) और दिल्ली व कनार्टक में क्रमश (1,146) दर्ज हुआ था। 30 नवंबर, 2023 तक कंपनी अधिनियम के तहत दर्ज कंपनियों की संख्या 25,99,660 थी।
इनमें से 9,23,502 कंपनियां बंद हुईं, परिसमापन के तहत 10,462 कंपनियां थीं, पंजीकरण से हटने के दौर में 23,041 कंपनियां थीं और 2495 कंपनियों ने ‘निष्क्रिय’ का दर्जा प्राप्त किया।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपने न्यूजलेटर में कहा, ‘भारत को बढ़ाने की आंतरिक शक्ति कॉरपोरेट सेक्टर है। यह सेक्टर निवेश, रोजगार की संभावनाओं और वैश्विक सर्वश्रेष्ठ तरीकों को अपनाकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन रहा है।’ वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में कॉरपोरेट सेक्टर का पूंजीगत व्यय 3.3 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया था।