उत्तर प्रदेश में निवेश जितना बढ़ रहा है, उद्योगों के लिए जमीन की जरूरत भी उतनी ही बढ़ रही है। पहले से मौजूद औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के साथ नए औद्योगिक क्षेत्र तैयार किए जा रहे हैं और समूचे प्रदेश में औद्योगिक पार्क बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। ऐसे में उद्योगों को जमीन दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) की सक्रियता काफी बढ़ गई है।
यूपीसीडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयूर माहेश्वरी ने प्रदेश में उद्योगों के लिए जमीन की उपलब्धता और औद्योगिक क्षेत्रों में मौजूद सुविधाओं तथा भावी योजनाओं के बारे में सिद्धार्थ कलहंस से बात की। प्रमुख अंश:
उत्तर प्रदेश सरकार ने 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौता पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। क्या प्रदेश में इतने उद्योग लगाने के लिए पर्याप्त जमीन मौजूद है?
उत्तर प्रदेश में मिला-जुलाकर बहुत बड़ा लैंड बैंक है, जिसे विभिन्न औद्योगिक प्राधिकरण संभालते हैं। 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौतों पर दस्तखत कर चुके निवेशकों का ध्यान रखने और उन्हें प्रदेश में लाने के लिए उसमें काफी जमीन है। इन प्राधिकरणों के पास हजारों औद्योगिक प्लॉटों के साथ 1 लाख एकड़ से भी ज्यादा जमीन है। इस जमीन में से करीब 50 फीसदी हिस्सा तो यूपीसीडा के ही पास है।
इसके जरिये राज्य की औद्योगिक मांग अच्छी तरह से पूरी की जा सकती है। हम लैंड बैंक को बढ़ाने के लिए तमाम उपाय भी करते रहते हैं। इस विस्तार के लिए और प्रशासनिक बाधाएं कम करने के लिए नीतियों को दुरुस्त बनाने के मकसद से भी हम काम कर रहे हैं। इस तरह हम पक्का करना चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण किसी भी उद्योग के लिए बाधा न बने।
राज्य में फिलहाल भूमि बैंक की क्या स्थिति है?
जो निवेशक यहां आना चाहते हैं उनके लिए जमीन बहुतायत में है और हमारा भूमि बैंक भी काफी बड़ा है। नया निवेश करने वालों के लिए भूमि आसानी से उपलब्ध कराने के इरादे से यूपीसीडा के पास 50,000 एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की गई है। कुल मिलाकर पूरे उत्तर प्रदेश में हमारे पास करीब 60,000 एकड़ औद्योगिक भूमि है, जो 55 जिलों में फैले 155 औद्योगिक क्लस्टरों में है। यूपीसीडा इस बड़े भूमि बैंक को संभालने वाली प्राथमिक संस्था है, जो पूरे राज्य में रोजगार सृजन और आर्थिक उन्नति को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने में जुटी रहती है।
हम उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी, प्रयागराज में सरस्वती हाई-टेक सिटी, बहेड़ी, बरेली में मेगा फूड पार्क, आईएमसी आगरा, कन्नौज में इत्र पार्क और दिबियापुर में प्लास्टिक पार्क जैसी प्रमुख और बड़ी परियोजनाएं तैयार कर रहे हैं। इन्हें देखकर ही पता चल जाता है कि हमारे पास कितना बड़ भूमि बैंक है और निवेश का कितना मौका हम निवेशकों को दे सकते हैं।
राज्य में भूमि बैंक बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
यूपीसीडा ने निवेशकों के लिए भूमि बैंक बढ़ाने के मकसद से कई अहम कदम उठाए हैं। हम समर्पित औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए सावधानी के साथ नए इलाकों का अधिग्रहण करते हैं और उन्हें विकसित करते हैं। हम उचित मुआवजा देकर निजी जमीन इस तरह खरीदते हैं कि किसानों को अधिकतम लाभ हो।
चूंकि उत्तर प्रदेश काफी हद तक कृषि प्रधान है, इसलिए हमारा जोर बंजर इलाकों को उपजाऊ बनाने और उन्हें रोजगार तथा आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बनाने पर रहा है। अभी विभिन्न जिलों के प्रशासन की मदद से 10,000 एकड़ से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।
जमीन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के लिए हमने अपने औद्योगिक क्षेत्रों का एफएसआई बढ़ाया है, जिससे बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। हमने फ्लैटेड फैक्टरी भी शुरू की हैं, जिनमें एक ही इमारत के भीतर कई इकाइयां एक साथ काम करती हैं। निवेशकों को विस्तार का मौका देने के लिए हमने दिल्ली-एनसीआर जैसे ज्यादा मांग वाले क्षेत्रों में एक ही जमीन के भीतर सब-डिविजन की नीति लागू की है।
हाथरस, पीलीभीत, हरदोई, प्रयागराज, बाराबंकी, लखनऊ और रायबरेली जैसे जिलों में हम नई योजना ला रहे हैं। भूमि बैंक बढ़ाने के लिए हम बंद पड़ी सरकारी धागा मिलों का अधिग्रहण कर उनका नए सिरे से इस्तेमाल कर रहे हैं।
बंद पड़ी इकाइयों की जमीन का और जहां आवंटन के बाद भी इकाइयां स्थापित नहीं हुई हैं, उस जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है?
यूपीसीडा ने बायबैक नीति बनाई है, जिसमें बंद इकाई अपनी जमीन बेच सकती है और वह जमीन नए उद्योगों को मिल सकती है। नीति के तहत दिए गए समय में इकाई नहीं लगती है तो जमीन का आवंटन रद्द कर दिया जाएगा।
प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ज्यादा सुविधा और बुनियादी ढांचे पर क्या किया जा रहा है?
औद्योगिक क्षेत्र में उचित जलापूर्ति, बेहतर जल निकासी और सौर ऊर्जा समेत उन्नत बिजली आपूर्ति जैसी आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। सुरक्षा के लिहाज से दमकल केंद्र बनाए जा रहे हैं, सीसीटीवी प्रणाली लगाई जा रही है और एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर पर जोर दिया जा रहा है। यूपीसीडा औद्योगिक पार्क और औद्योगिक गलियारे स्थापित कर रहा है।
औद्योगिक क्षेत्रों में क्रेच, प्रेरणा कैंटीन, कौशल विकास केंद्र, पिक-ऐंड-ड्रॉप सुविधा दी जा रही हैं। सुरक्षा उपायों में सीसीटीवी निगरानी और पब्लिक एड्रेस सिस्टम शामिल हैं। इन सबकी मदद से औद्योगिक क्षेत्रों को निवेश के लिए और भी आकर्षक बनाया जा रहा है।
भूमि आवंटित करते समय यूपीसीडा में कितनी पारदर्शिता बरती जा रही है?
भूमि आवंटन में 100 फीसदी पारदर्शिता के लिए ई-नीलामी और जांच नीति लागू की गई है, जिसके कारण निवेश मित्र पोर्टल के जरिये बिना किसी खामी के आवंटन होता है। पोर्टल पर प्लॉट आवंटन में बरती जा रही पारदर्शिता से 95.97 फीसदी उद्यमी संतुष्ट हैं।