प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
खनन मंत्रालय ने गुरुवार को राज्य खनन तत्परता सूचकांक और इसके आधार पर राज्यों की रैंकिंग जारी की। मंत्रालय ने इसे खनन क्षेत्र में राज्य स्तर पर सुधारों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम बताया। इसके साथ ही 2025-26 के आम बजट में की गई एक अहम घोषणा भी पूरी हो गई।
सूचकांक में राज्यों को कई कसौटियों पर कसा गया है जैसे नीलामी में प्रदर्शन, खानों में काम जल्द शुरू होना, अन्वेषण पर जोर और कोयले के अलावा दूसरे खनिजों का सतत खनन। इनका मकसद यह पता करना है कि राज्य खनन गतिविधियों को सहारा देने और खनन गतिविधियों को सुधारों को लागू करने के लिए कितने तैयार हैं और कितनी अच्छी तरह से ऐसा कर सकते हैं।
इस सूचकांक की व्यवस्था में राज्यों को उनके पास मौजूद खनिज भंडार के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है। श्रेणी ए में खनिजों की प्रचुरता वाले राज्य हैं और शीर्ष तीन पायदानों पर मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात हैं। बी श्रेणी के राज्यों में गोवा, उत्तर प्रदेश और असम ने सबसे उम्दा प्रदर्शन किया है। श्रेणी सी में पंजाब, उत्तराखंड और त्रिपुरा सबसे आगे हैं।
मंत्रालय के मुताबिक सूचकांक यह सोचकर शुरू किया गया है कि इससे राज्यों के प्रदर्शन को कसौटी पर कसा जा सकेगा और उनके बीच स्वस्थ होड़ को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इससे देश में खनन सुधारों और संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन की रफ्तार बढ़ेगी।