लार्सन ऐंड टुब्रो (L&T) ने गुरुवार को अपनी सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को कंपनी की परियोजनाओं में खामियां, मेट्रो में देरी और श्रमिकों की किल्लत के बारे में साफ-साफ जानकारी दी। L&T के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने शेयरधारकों को आश्वस्त किया कि निर्माणाधीन राम मंदिर परियोजना और दिल्ली के प्रगति मैदान सुरंग परियोजना में किसी तरह की खामी नहीं है। शीर्ष अधिकारी ने यह भी कहा कि कंपनी श्रमिकों की कमी दूर करने के लिए भी कई कदम उठा रही है।
मुंबई में कुछ मेट्रो परियोजनाओं के पूरा होने से जुड़े सवालों पर L&T के नए चेयरमैन ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि कंपनी ने परियोजनाओं से संबंधित अपने हिस्से के कार्यों को पूरा कर लिया है और जो काम बचे हैं वे ठेकेदारों के पास हैं। आपको सरकार से कहना चाहिए कि सभी काम हमें दे दें।
पिछले एक साल के दौरान L&T की दो परियोजनाएं प्रगति मैदान सुरंग, और राम मंदिर परियोजनाओं में खामी की जानकारी मिली थी। शीर्ष अधिकारियों ने शेयरधारकों से कहा, ‘प्रगति मैदान में जहां कहा गया कि पानी का रिसाव हो रहा है, अगर मैं साफ-साफ कहूं तो प्रगति मैदान के नीचे से जाने वाली सुरंग के किनारे आवासीय कॉलोनियां और कई सरकारी कार्यालय हैं। सुरंग कारों एवं बसों के लिए है मगर वे कॉलोनियों और कार्यालयों का पानी लेकर वहां डाल रहे हैं और फिर कह रहे हैं कि रिसाव हो रहा है।’
शीर्ष अधिकारी ने यह भी कहा कि राम मंदिर परियोजना में कोई खामी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वहां भी किसी तरह का रिसाव नहीं है। मंदिर का गर्भगृह अभी निर्माणाधीन है और अगले साल मार्च से पहले यह पूरा नहीं हो सकता है। नाली के पाइप का काम अभी भी चल रहा है इसलिए पानी मंदिर में जा रहा है।’
श्रमिकों का संकट मगर निकाल रहे हल
L&T पिछले महीने उस वक्त सुर्खियों में आ गई थी जब कंपनी के चेयरमैन ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि कंपनी 30 हजार श्रमिकों की कमी का सामना कर रही है। सुब्रमण्यन ने आंकड़ों को फिर से बताया और इस कमी के लिए भारत की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों, देश की रोजगार सृजन योजना-मनरेगा, मॉनसून, आम चुनाव और पश्चिम एशियाई देशों से बढ़ती श्रम मांग सहित कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया।
अलग कारोबार और शेयर विभाजन
चेयरमैन ने कहा कि कंपनी के किसी भी कारोबार को अलग करने की योजना नहीं है। कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी आर शंकर रमन ने कहा कि साल 2026 में खत्म होने वाली मौजूदा पंचवर्षीय योजना में एक विनिवेश के लिए और कोई संपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘शेयर की कीमत 7 से 8000 रुपये पहुंचने पर कंपनी एक बार विचार करेगी।’