लोगों के बीच ऋण के आदान-प्रदान को सुगम बनाने वाले पी2पी लेंडिंग उद्योग संगठन ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह निवेदन किया है कि वह एक दिन (टी+1) के भीतर एस्क्रो खाते की धनराशि को देने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करे। उद्योग के खिलाड़ियों का कहना है कि नियामकीय संस्था से राहत न मिलने पर उन्हें टी+1 समयसीमा के भीतर फंड लेने-देने पर अतिरिक्त लागत का बोझ सहना होगा।
चिंता यह भी है कि सीमित पूंजी के साथ पी2पी मंचों को इन परिस्थितियों में संघर्ष करना पड़ सकता है जिससे पहले से ही चुनौतियों से जूझ रहे इस उद्योग के लिए जोखिम और बढ़ेगा।
पी2पी मंच के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हमें बड़ी उम्मीद है कि टी+1 समयसीमा के आदेश को बदल दिया जाना चाहिए। अगर समयसीमा बढ़ाकर टी+3 या टी+5 कर दी जाए तब इस उद्योग की स्थिति बेहतर होगी।’ अधिकारी ने कहा कि टी+1 समयसीमा को लागू किए जाने के चलते हमें कर्ज लेने वालों की प्रत्येक पुनर्भुगतान राशि को समयसीमा के भीतर भेजना होगा।
इसके चलते इस क्षेत्र में निवेश करने वालों की लागत बढ़ेगी क्योंकि उनका बैंक और ट्रस्टी से पुनर्भुगतान की प्रक्रिया के लिए अनुबंध होता है। अधिकारी ने बताया कि जहां तक पी2पी लेंडिंग मंच के कर्जदाताओं का सवाल है, उन्हें भी ऋण लेने वालों की तलाश कर अपनी पूंजी आवंटित करने में वक्त लगता है। अब चिंता की बात यह है कि मंच को कर्जदारों की आवंटित न हुई राशि को भी टी+1 समयसीमा के भीतर वापस करना होगा जिससे लेन-देन की लागत और बढ़ेगी।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म के लिए दिशानिर्देश सख्त कर दिए। आरबीआई ने कहा कि कुछ पी2पी लेंडिंग मंच इसका प्रचार-प्रसार निवेश योजनाओं की तरह कर रहे हैं और नकदी के विकल्प की पेशकश करने के साथ ही बिचौलिए की भूमिका के बजाय जमाएं लेने वाले और कर्जदाताओं की तरह काम कर रहे हैं।
आरबीआई ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)-पी2पी लेंडिंग मंच की भूमिका एक बिचौलिए की तरह तय की थी जो पी2पी लेंडिंग में प्रतिभागियों को ऑनलाइन बाजार मुहैया कराए। एक पी2पी लेंडिंग मंच के संस्थापक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मैं यह कहने से पीछे नहीं हटूंगा कि हम इसका प्रचार-प्रसार एक निवेश योजना की तरह कर रहे थे और हम अब भी यह नहीं जानते हैं कि इसके बारे में बताने और दूसरा और क्या तरीका हो सकता है। आरबीआई ने खुद भी कर्जदाताओं को मंच पर एक निवेशक बताया है और हम यह नहीं जानते हैं कि अब उन्हें इस बात से क्या दिक्कत है।’
संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक आरबीआई ने कहा कि कर्जदाता के एस्क्रो खाते में हस्तांतरित फंड और कर्जदाताओं के एस्क्रो खाते में फंड, टी+1 की अवधि से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए। इसमें टी वह तारीख है जिस दिन फंड इन एस्क्रो खाते में मिलते हैं। इस क्षेत्र में लाइसेंस हासिल करने वाले 26 खिलाड़ी हैं लेकिन केवल 10-11 खिलाड़ी ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और उद्योग की प्रबंधनाधीन संपत्ति 11,000 करोड़ रुपये है। आरबीआई की सख्ती को देखते हुए पी2पी लेंडिंग मंच अब अपने कारोबार में विविधता लाने की रणनीति की दिशा में काम कर रहे हैं क्योंकि उनका यह पूर्वानुमान है कि उनके मौजूदा कारोबारी मॉडल से शून्य राजस्व मिलेगा।
इसी उद्योग से जुड़े एक खिलाड़ी ने कहा, ‘फिलहाल हम इस दिशानिर्देश के असर को आंतरिक स्तर पर समझने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि ये आदेश पिछले हफ्ते ही आया है। किसी ने भी पी2पी से इतर किसी भी मंच के बारे में नहीं सोचा था लेकिन अब सभी का मानना है कि उन्हें कारोबार में विविधता लानी होगी और आगे शत-प्रतिशत राजस्व पी2पी से न हो।’ पी2पी मंच से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि जब तक हमें कोई पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस नहीं मिलेगा तब तक टी+1 समयसीमा का पालन करने में मुश्किल होगी।
अधिकारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि पिछले हफ्ते जारी दिशानिर्देश के बाद कुछ सुझाव वाली प्रक्रिया पर अमल किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमसे इस विषय पर कोई परामर्श नहीं लिया गया जबकि दूसरी जगहों पर एक वर्किंग ग्रुप होता है या परामर्श पत्र जारी किया जाता है।’