उद्योग

मूल कंपनियों से कम नहीं GCC

आज भारतीय जीसीसी काम के लिहाज से अपने मूल संगठनों के आईने की तरह हैं।

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आयुष्मान बरुआ   
Last Updated- June 12, 2024 | 10:07 PM IST

देश में वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) 1990 के दशक की शुरुआत के बाद से लंबा सफर तय कर चुके हैं। उस दौर में उन्हें अपने वैश्विक मुख्यालयों के ‘कैप्टिव’या जेबी के रूप में बताया जाता था। लेकिन आज वे अपने मुख्यालयों के ‘डिजिटल जुड़वां ’ के रूप में उभर रहे हैं और अपने मूल संगठनों में किए गए काम को दोहरा रहे हैं। इतना ही नहीं, वे पहले से कहीं ज्यादा मूल्य जोड़ रहे हैं। आज भारतीय जीसीसी काम के लिहाज से अपने मूल संगठनों के आईने की तरह हैं।

नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) के उपाध्यक्ष और प्रमुख (मेंबरशिप ऐंड आउटरीच) श्रीकांत श्रीनिवासन ने कहा, ‘वहां जो कुछ भी किया जा रहा है, वह यहां से भी किया जा सकता है। वैश्विक महामारी के बाद की दुनिया में दूरियां पहले ही खत्म हो चुकी हैं और भारतीय इकाई मूल कंपनी के लिए किसी भी अन्य कार्यालय की तरह ही महत्वपूर्ण या अनिवार्य हो चुकी है।’

अमेरिका स्थित एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर कंपनी प्लानव्यू का भारत केंद्र वास्तव में किसी डिजिटल जुड़वां से कहीं ज्यादा है। यह एक तरह से डिजिटल ‘नेक्स्ट जेनरेशन’ है। प्लानव्यू की प्रबंध निदेशक और कंट्री मैनेजर (भारत) शालिनी संकर्षण ने कहा, ‘प्लानव्यू की भविष्य की योजनाओं के लिए हम आज निर्माण करते है। इसलिए कि हमारे पास कौशल से लेकर प्रक्रिया तक सब कुछ नया निर्मित करने का अवसर है। एक तरह से हम संगठन को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि जीसीसी का विकास आम तौर पर किसी सफर से गुजरता है। यह मूल कंपनी की आउटसोर्सिंग इकाई के रूप में शुरू होता है। बाद में यह अधिक भागीदारी और मॉड्यूलर स्वामित्व की ओर बढ़ जाता है। फिर यह उस चरण तक पहुंच जाता है, जब जीसीसी किसी उत्पाद या सेवा का पूर्ण स्वामित्व ले लेता है।

उन्होंने कहा, ‘प्लानव्यू में हमने एक 360-डिग्री वाला मॉडल स्थापित किया, जहां हम सीधे अपने मूल संगठन के डिजिटल ट्विन की तरह बन गए। इसका मतलब यह है कि हमारे सभी उत्पाद, सेवाओं और कार्य का हमारा बेंगलूरु कार्यालय गही प्रतिनिधित्व करता है। और यहां से उनका प्रबंधन किया जाता है।’

अमेरिका की खुदरा क्षेत्र की दिग्गज टारगेट को ही ले लीजिए। कंपनी ने साल 2005 में बेंगलूरु में परिचालन शुरू किया था। आज यह टारगेट के लिए ‘पूर्ण रूप से एकीकृत जीसीसी’ और रणनीतिक साझेदार है और इसे अक्सर दूसरे मुख्यालय के तौर पर बताया जाता है। भारत में टारगेट अपने अमेरिकी परिचालन के लिए विपणन, प्रौद्योगिकी, वित्त, विश्लेषण, डिजिटल और आपूर्ति श्रृंखला की गतिविधियों में मदद करती है।

First Published : June 12, 2024 | 10:07 PM IST