उद्योग

भारत में GCC आईटी कंपनियों के मुकाबले दे रहे 12-20% ज्यादा वेतन

GCCs समान टेक पोजिशन के लिए आईटी सेवाओं और अन्य नॉन-टेक उद्योगों की तुलना में 12-20 प्रतिशत तक ज्यादा वेतन दे रहे हैं।

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रिमझिम सिंह   
Last Updated- August 27, 2024 | 5:14 PM IST

भारत में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) के विस्तार और टेक पेशेवरों की बढ़ती मांग के कारण, आईटी सेवाओं वाली कंपनियों की तुलना में वेतन अंतर बढ़ता जा रहा है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में आई टीमलीज डिजिटल की रिपोर्ट बताती है कि GCCs समान टेक पोजिशन के लिए आईटी सेवाओं और अन्य नॉन-टेक उद्योगों की तुलना में 12-20 प्रतिशत तक ज्यादा वेतन दे रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर, GCCs सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को उनके अनुभव के आधार पर सालाना 9.7 लाख रुपये से लेकर 43 लाख रुपये तक का वेतन दे रहे हैं। इसके विपरीत, आईटी प्रोडक्ट और सर्विसेज के सेक्टर में एंट्री-लेवल पदों के लिए लगभग 5.7 लाख रुपये प्रति वर्ष का वेतन दिया जाता है, जो आठ साल से अधिक अनुभव रखने वालों के लिए 17.9 लाख रुपये प्रति वर्ष तक पहुंचता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्तमान में भारत में संचालित 1,600 GCCs में 16.6 लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं। अगले पांच से छह सालों में अतिरिक्त 800 GCCs स्थापित होने की उम्मीद है, जिससे भारत का ग्लोबल टेक हब के रूप में महत्व और बढ़ेगा।

इन नए GCCs में से कई कोलकाता, अहमदाबाद और वडोदरा जैसे टियर- II शहरों में स्थापित होने की संभावना है, जिससे भौगोलिक विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जिन स्किल्स की मांग में बढ़ोतरी हो रही है, उनमें PyTorch, AWS, DevOps, NLP, Kubernetes, Hyperledger Fabric, Blockchain, Tableau, SQL, और ServiceNow शामिल हैं।

भारत में टेक्नोलॉजी स्किल्स की कमी

FY24 में, भारत का टेक्नोलॉजी मार्केट 254 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि है। इस बाजार को 5.6 मिलियन की टेक वर्कफोर्स का सपोर्ट मिला है।

2020 से 2024 के बीच, भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), ब्लॉकचेन, IoT, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA), एज कंप्यूटिंग और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इन क्षेत्रों में प्रमुख टूल्स में Python, R, TensorFlow और PyTorch शामिल हैं। हालांकि, इस तेजी से हुई प्रगति ने एक महत्वपूर्ण स्किल गैप पैदा कर दिया है, जिसमें केवल 2.5 प्रतिशत भारतीय इंजीनियर AI में दक्ष हैं और केवल 5.5 प्रतिशत के पास बेसिक प्रोग्रामिंग स्किल्स हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, “इस बढ़ते टेक्नोलॉजी स्किल्स गैप को कम करने के लिए, 86 प्रतिशत भारतीय कंपनियां अपने आईटी वर्कर्स को सक्रिय रूप से रिस्किल कर रही हैं।” आने वाले सालों में आईटी सेवाओं का उद्योग भी विस्तार के लिए तैयार है, जिसमें अगले पांच सालों में क्लाउड निवेश में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।

जेंडर पे गैप

मनीकंट्रोल ने टीमलीज डिजिटल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि भारत में वर्तमान में 2.05 मिलियन महिलाएं टेक सेक्टर में काम कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक GCCs में टेक रोल्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 25-35 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, इस पॉजिटिव ट्रेंड के बावजूद, उद्योग में जेंडर पे गैप की समस्या बनी हुई है, जो औसतन 10-17 प्रतिशत के बीच है और डेटा एनालिस्ट जैसे पदों के लिए यह अंतर 22-30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस वेतन अंतर का कारण स्ट्रक्चरल असमानताएं, भूमिकाओं का असमान वितरण, करियर में प्रगति के लिए बाधाएं, और नेगोशिशन में अंतर हैं। टेक और लीडरशिप पदों में यह अंतर विशेष रूप से अधिक है।

जेंडर पे गैप को कम करने के लिए रिपोर्ट में स्पष्ट वेतन नीतियों को लागू करने, मेंटोरशिप के अवसर बनाने और कामकाजी जीवन में संतुलन बढ़ाने के लिए फ्लेक्सिबल वर्क अरेंजमेंट्स की पेशकश करने का सुझाव दिया गया है।

First Published : August 27, 2024 | 4:49 PM IST