54 बिलियन डॉलर की बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) इंडस्ट्री, जो पहले अपने बड़े कामकाज और मानव संसाधन के कारण जानी जाती थी, अब एक बड़े बदलाव से गुजर रही है। यह बदलाव अब इंसानों के बजाय कंप्यूटर के द्वारा हो रहा है, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एक नया प्रकार का AI, जिसे एजेंटिक AI कहते हैं, तेजी से BPO इंडस्ट्री में बदलाव ला रहे हैं। यह AI अब बिना इंसान की मदद के खुद से काम कर सकता है और फैसले ले सकता है। इस बदलाव से न केवल सेवाओं का तरीका बदल रहा है, बल्कि यह भी बदल रहा है कि कौन सी सेवाएं जरूरी हैं।
यह बदलाव इंसानों को रिप्लेस करने का नहीं है, बल्कि इंसानों की काम करने की क्षमता को और बेहतर बनाने का है। Genpact के टेक्नोलॉजी और इनोवेशन चीफ संजीव वोहरा ने कहा, “हम अब सामान्य AI से बढ़कर ऐसे AI सॉल्यूशन बना रहे हैं, जो किसी खास सेक्टर के लिए काम करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “हम अब ऐसे AI एजेंट्स को व्यापार में शामिल कर रहे हैं, जो असल समय में सीख सकते हैं और बेहतर काम कर सकते हैं।”
BPO (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) इंडस्ट्री को अक्सर कंपनियों के खर्च घटाने की रणनीति के रूप में देखा जाता है। GE, Amex, Bank of America, Citibank, JP Morgan, Prudential, Capital One, Pfizer जैसी बड़ी कंपनियां, भारत से सस्ते और अच्छे कर्मचारियों की मदद लेकर कई तरह की सेवाएं देती रही हैं। इनमें कस्टमर सपोर्ट से लेकर अकाउंट, डेटा एनालिसिस से लेकर लोन प्रोसेसिंग तक शामिल हैं।
भारत की BPO इंडस्ट्री, जिसमें हजार से ज़्यादा कंपनियां काम कर रही हैं और जहां करीब 20 लाख लोग रोज़गार में लगे हैं, अब तेज़ी से बदल रही है। पहले इस इंडस्ट्री की पहचान सस्ते और अच्छे काम करने वाले लोगों से थी। लेकिन अब काम का तरीका बदल रहा है। अब बहुत सारे काम इंसान नहीं, बल्कि AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाले समझदार सॉफ्टवेयर कर रहे हैं। जैसे पहले बिल मिलाना या नए ग्राहक को जोड़ना जैसे काम इंसान करते थे, अब ये काम स्मार्ट कंप्यूटर बोट्स खुद कर लेते हैं। वो भी बिना किसी इंसानी मदद के। अब इस इंडस्ट्री में तीन चीज़ें साथ चल रही हैं — मशीनों से काम करवाना (ऑटोमेशन), डेटा को समझना (एनालिटिक्स), और ग्राहक की भावनाओं को पहचानना।
टेक महिंद्रा के बिजनेस प्रोसेस सर्विसेज (BPS) के प्रमुख बिरेन्द्र सेन इसे “बड़ा बदलाव” मानते हैं। 6.26 बिलियन डॉलर की कंपनी, टेक महिंद्रा, दुनिया की प्रमुख तकनीकी सेवा कंपनियों में एक है। उन्होंने कहा, “अब तक 60 प्रतिशत तक काम, खासतौर पर कॉल समरी, सेंटिमेंट एनालिसिस (भावनाओं का विश्लेषण) और भविष्यवाणी करने का काम AI सिस्टम्स कर रहे हैं। इससे इंसान को वो काम करने का समय मिलता है, जो मशीनें नहीं कर सकतीं, जैसे लोगों की भावनाओं को समझना और जटिल समस्याओं को हल करना।”
पुराना AI सिर्फ पहले से दिए गए नियमों और डेटा के हिसाब से जवाब देता था। लेकिन नया एजेंटिक AI खुद से सोचकर काम करता है। यह किसी भी स्थिति को समझ सकता है, फैसला ले सकता है और बिना इंसान की मदद के मुश्किलों का हल निकाल सकता है। अब यही स्मार्ट तकनीक BPO कंपनियों के काम में भी इस्तेमाल हो रही है।
उदाहरण के लिए, Genpact ने एक AP Capture नाम का स्मार्ट सिस्टम बनाया है। ये एजेंटिक AI पर काम करता है और बिलों से जुड़ा काम संभालता है। ये सिस्टम इनवॉइस यानी बिल को पढ़ता है, समझता है और बड़ी कंपनियों के अकाउंट में उसे ठीक से मिलाता है। इससे अब हाथ से करने वाला काम बहुत कम हो गया है। भुगतान जल्दी होने लगे हैं और ग़लतियां भी पहले से बहुत कम हो गई हैं।
Genpact ने एक बड़े निवेश बैंक को 600 मिलियन नोड्स वाले नॉलेज ग्राफ को संभालने में मदद की। अब यह बैंक AI एजेंट्स की मदद से मुश्किल सवालों का जवाब दे सकता है और आम भाषा में बात समझ सकता है। Genpact के संजीव वोहरा ने कहा, “हमने ऐसा AI सिस्टम बनाया जो सवालों को समझने के लिए देखने और समझने की ताकत (परसेप्शन) का इस्तेमाल करता है। इससे बैंक को अपने भारी-भरकम डेटा को आसानी से समझने में मदद मिली और अब वह डेटा को एक बड़े फायदे के रूप में इस्तेमाल कर पा रहा है।”
भारत के कॉल सेंटर्स अब बदल रहे हैं। क्वात्रो और EY इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, अब 30-50 प्रतिशत कॉल्स और चैट्स AI द्वारा हल की जा रही हैं। क्वात्रो BPO के प्रमुख, रमण रॉय ने कहा, “हमने देखा कि बैंकों की लेन-देन, एयरलाइन बुकिंग या लोन प्रोसेसिंग जैसे कामों में ऑटोमेशन से बड़ी सफलता मिली है। भारत में BPO अब और स्मार्ट हो रहा है और AI की मदद से काम कर रहा है।”
अब ऐसे टूल्स आ गए हैं जो लाइव कॉल्स को सुन सकते हैं, जरूरी जानकारी दिखा सकते हैं और एजेंट्स को सही दिशा में गाइड कर सकते हैं। इससे कॉल्स को हल करने का समय कम हो गया है और समस्याओं का समाधान पहली कॉल में मिल रहा है। हालांकि, कंपनियां वॉयस AI का इस्तेमाल करने में थोड़ा सतर्क हैं। इसे पूरी तरह से अपनाने में समय और सही तरीके की जरूरत है, ताकि यह ज्यादा प्रभावी हो सके।
WNS के CEO केशव आर मुरुगेश ने कहा, “अब क्लाइंट और काम के तरीके के हिसाब से, कॉल और चैट के 30 से 50 फीसदी काम मशीनें खुद कर रही हैं। लेकिन जहां इंसान की समझ और भावनाएं ज़रूरी हैं, वहां इंसान ही काम कर रहे हैं और यही सबसे अहम है।”
टेक महिंद्रा में AI की वजह से काम करने का तरीका बदला है। तकनीक भी बदली है और काम का माहौल भी। बिरेन्द्र सेन ने इसे “फिजिटल” कहा, मतलब इंसानों की मेहनत और मशीनों की समझ मिलकर साथ काम कर रहे हैं।
एक फाइनेंशियल कंपनी के लिए, टेक महिंद्रा ने ऐसा AI सिस्टम लगाया जो लोगों की आवाज़ और भावनाओं को पहचान सकता है। इससे पहले जो काम हाथ से किया जाता था, अब वो पूरा काम मशीनें खुद करने लगीं। बिरेन्द्र सेन ने कहा, “जहां काम ज्यादा मुश्किल नहीं होता, वहां हमने तीन गुना तक खर्चा बचते देखा है। लेकिन सबसे बड़ा फायदा ये है कि AI इंसानों की समझ और काम करने की ताकत को और बेहतर बना रहा है, उसे हटाने की जरूरत नहीं है।”
सेन का कहना है कि आने वाले समय में ऐसे कॉन्टैक्ट सेंटर होंगे जो हर जगह से चल सकें, जब ज़रूरत हो तब चालू हों, और ये क्लाउड और नई टेक्नोलॉजी पर काम करेंगे। वहाँ इंसान और AI एक साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा, “भविष्य में इंसान और मशीन आपस में मुकाबला नहीं करेंगे, बल्कि मिलकर एक टीम की तरह काम करेंगे।”
WNS अब GenAI को सिर्फ एक तकनीकी टूल नहीं मानता, बल्कि इसे अब अपना एक कमाई का ज़रिया बना लिया है। मुरुगेश के अनुसार, कंपनी के 2024-25 के साल के रेवेन्यू का 5 प्रतिशत GenAI से आया है। हाल ही में, कंपनी ने एक बीमा कंपनी की मदद की, जिसमें AI के ज़रिये क्लेम रिकवरी में 60 प्रतिशत तक सुधार हुआ। स्वास्थ्य सेवा में, AI ने इलाज को तेज़ किया और गलतियां कम कीं। यात्रा सेक्टर में, WNS AI का इस्तेमाल यात्राओं को और ज़्यादा व्यक्तिगत बनाने के लिए कर रहा है।
WNS ने 22,000 कर्मचारियों को GenAI की ट्रेनिंग दी है। अब BPO कंपनियां AI को सिर्फ एक अतिरिक्त चीज नहीं मानतीं, यह उनके काम का अहम हिस्सा बन चुका है। इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बदलाव मशीनों को इंसान की जगह पर लाने का नहीं, बल्कि मशीनों के साथ मिलकर काम करने का है। क्वात्रो के रमण रॉय ने कहा, “AI बहुत तेज़ी से और बड़े पैमाने पर काम करता है, लेकिन जटिल फैसले और नैतिक सवाल इंसान ही हल कर सकता है।”
EY इंडिया की पार्टनर, प्रीति आनंद का कहना है, “हम मानव कॉन्टैक्ट सेंटर का अंत नहीं देख रहे हैं, बल्कि उनका विकास देख रहे हैं।” EY के अनुसार, अब 50 प्रतिशत कॉल टाइप AI या चैटबॉट्स से ऑटोमेट किए जा सकते हैं, लेकिन 20-30 प्रतिशत ऐसे काम हैं जो AI की मदद से इंसान बेहतर कर सकते हैं, क्योंकि वे रियल-टाइम डेटा और जानकारी पर काम कर सकते हैं।
आनंद ने कहा, “मानव एजेंट्स अब भी अहम और संवेदनशील काम करेंगे,” लेकिन अब वे AI की मदद से यह काम करेंगे। AI के कारण मानव नौकरियों के खत्म होने का डर होने के बावजूद, ज्यादातर लीडर्स भविष्य को मिलकर काम करने वाला मानते हैं। क्वात्रो के रमण रॉय ने कहा, “AI ज्यादा काम करेगा, लेकिन इंसान ही फैसले और रचनात्मकता देंगे।”
दरअसल, अब बहुत सी नई नौकरियां बन रही हैं। नासकॉम की सीनियर वीपी, संगीता गुप्ता ने कहा, “आजकल यह इंडस्ट्री AI की वजह से बढ़ रही है। और अगले 3-5 सालों में यह और ज्यादा इंसानी टैलेंट पर निर्भर होगी। उदाहरण के लिए, डेटा एन्नोटेशन (डेटा लेबलिंग) जैसे कामों में बहुत सी नई नौकरियां बन रही हैं।”
नासकॉम के मुताबिक, इस साल BPO क्षेत्र में 6-7 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी हो सकती है। जैसे-जैसे AI व्यापार के कामों में और गहरे तरीके से जुड़ रहा है, नई तरह की नौकरियां बन रही हैं। अब बिजनेस फंक्शंस में डेटा वैज्ञानिक, AI रणनीति निदेशक, और चैटबॉट HR विशेषज्ञ जैसे नए रोल्स उभर रहे हैं। ग्राहक सेवा में, AI वार्ता डिज़ाइनर और वर्चुअल असिस्टेंट ट्रेनर की नौकरियाँ ज़रूरी होती जा रही हैं, ताकि AI और इंसान के बीच बातचीत को सही तरीके से संभाला जा सके।
रॉय ने कहा, “जो कंपनियां AI की ताकत को इंसान की समझ के साथ मिलाती हैं, वे ही सफल होंगी।” पहले BPO सेक्टर सस्ते काम की वजह से बढ़ा था, लेकिन अब यह नई दिशा में बढ़ रहा है, जहां AI और स्मार्ट तकनीक से समस्याओं का हल निकाला जाएगा। भारत, जो पहले दुनिया का बैकऑफिस था, अब भविष्य के स्मार्ट कामों में सबसे आगे है।