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नए ईंधन दक्षता नियमों की मसौदा अधिसूचना के अनुसार कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (कैफे) मानकों को पूरा करने के लिए मशक्कत कर रहे वाहन विनिर्माताओं को अधिकतम दो अन्य विनिर्माताओं के साथ पूल बनाने की अनुमति होगी। इससे अनुपालन में लचीलापन मिलेगा। हालांकि अगर पूल पर जुर्माना लगाया जाता है तो ऐसे पूल के नामित प्रबंधक पर सीधे जुर्माना लगाया जाएगा। इस कदम से कम ईंधन दक्षता पोर्टफोलियो वाली कंपनियों, जैसे पेट्रोल या डीजल से चलने वाले स्पोर्ट यूटिलिटी वाहनों पर अत्यधिक निर्भर रहने वाले निर्माताओं को मदद मिलने की उम्मीद है। वे अपने प्रदर्शन को इलेक्ट्रिक कारों जैसे पर्यावरण अनुकूल वाहनों की पेशकश करने वाले विनिर्माताओं के साथ जोड़ पाएंगी। यह पहली बार है कि कैफे मानदंडों में ऐसा प्रावधान किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्रालय के तहत काम करने वाले ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने गुरुवार को कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों का मसौदा जारी किया जो अप्रैल 2027 से लागू होंगे और मार्च 2037 तक लागू रहेंगे।
मसौदे में कहा गया है, ‘वार्षिक औसत ईंधन खपत के मानक पूरा करने के उद्देश्य से उक्त मोटर वाहनों के विनिर्माता (अधिकतम 3) पूल बनाने का निर्णय ले सकते हैं। वार्षिक औसत ईंधन खपत मानक के अनुपालन के उद्देश्य से एक पूल को ‘एक विनिर्माता’ के तौर पर समझा जाएगा। एक विनिर्माता किसी निश्चित रिपोर्टिंग अवधि में केवल एक पूल का ही सदस्य हो सकता है। ‘पूल प्रबंधक’ के रूप में नामित विनिर्माता पूल के लिए संपर्क बिंदु होगा और ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अनुसार पूल पर लगाए गए किसी भी जुर्माने का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा।’
यह विनियमन अधिकतम तीन कंपनियों को अपने बेड़े मिलाने की अनुमति देता है। पूल बनने के बाद ईंधन खपत के उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन इस तरह किया जाएगा, मानो वे एक ही विनिर्माता हों। इस नियम में यह स्पष्ट है कि कोई एक विनिर्माता हर साल केवल एक ही पूल में शामिल हो सकता है। वे एक ही रिपोर्टिंग अवधि के दौरान दो अलग-अलग पूल का हिस्सा नहीं हो सकते। तथापि यह मसौदा कंपनियों को बाद के वर्षों में पूल बदलने से नहीं रोकता है।
पूल के एक सदस्य (कंपनी) को ‘पूल प्रबंधक’ के रूप में कार्य करना होगा। यह कंपनी सरकार के साथ आधिकारिक संपर्क बिंदु बन जाएगी। अगर पूल अपना लक्ष्य पूरा करने में विफल रहता है, तो पूल प्रबंधक ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना भरने के लिए जिम्मेदार होगा। ग्रांट थॉर्नटन भारत के साझेदार (वाहन और ईवी) साकेत मेहरा ने ओईएम पूलिंग को गुरुवार को जारी मसौदे की ‘असाधारण’ विशेषता बताया।
उन्होंने कहा, ‘यह (पूल बनाना) रणनीतिक साझेदारी को सक्षम बनाता है जहां विनिर्माता बेड़े के उत्सर्जन को संतुलित कर सकते हैं, अनुपालन लागत कम कर सकते हैं और मिलकर नियामकीय लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। नामित पूल प्रबंधक ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत किसी भी दंड के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी होगा जिससे संचालन और जिम्मेदारी का एक स्तर और जुड़ जाएगा।’
गुरुवार को जारी किए गए मसौदा मानदंड जून 2024 में जारी किए गए मसौदा मानदंडों का संशोधन थे। वाहन उद्योग में व्यापक और जोरदार बहस के बाद यह संशोधन आया है। मारुति सुजूकी ने कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों के तहत छोटी कारों के लिए विशेष राहत का अनुरोध किया था, जबकि टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा सहित अन्य कार विनिर्माताओं ने ऐसी किसी भी रियायत का विरोध किया था। गुरुवार के मसौदा मानदंडों में पहली बार छोटी कारों के लिए विशेष राहत की पेशकश की गई और फ्लेक्स-फ्यूल तथा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहनों के लिए प्रोत्साहन की पेशकश की गई।