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Indian EdTech: एडटेक क्षेत्र में फिर आने लगी रकम

भारतीय एडटेक सेक्टर में सुधार, फिजिक्स वाला और एरुडिटस जैसी कंपनियां बनीं अग्रणी

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आर्यमन गुप्ता   
Last Updated- December 04, 2024 | 10:44 PM IST

लंबे समय तक गिरावट वाले रुख के बाद भारतीय एडटेक क्षेत्र में आखिरकार सुधार के संकेत दिख रहे हैं। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में रकम जुटाने की कवायद में पिछले साल के मुकाबले 153 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जो साल 2024 में अभी तक हुए 68 सौदों में 60.88 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान 106 सौदों में 24.09 करोड़ डॉलर की रकम जुटाई गई थी।

इस सुधार को रकम जुटाने के बड़े दौर से बल मिला है। निवेशक उन कंपनियों में बड़ा निवेश कर रहे हैं, जो शेयर बाजार और प्रदर्शन के बेहतर पैमाने के जरिये निकासी की दमदार संभावनाओं के साथ बाजार की अगुआ के रूप में उभर रही हैं।

फिजिक्स वाला (पीडब्ल्यू) को छोड़कर किसी अन्य कंपनी के मूल्यांकन में खासा इजाफा नहीं हुआ है। फिजिक्स वाला 21 करोड़ डॉलर जुटाकर अपना मूल्यांकन दोगुना करने में कामयाबी रही है। उसका मूल्यांकन अब 2.8 अरब डॉलर हो गया है।

अक्टूबर में कार्यकारी शिक्षा क्षेत्र की कंपनी एरुडिटस ने टीपीजी के द राइज फंड की अगुआई में रकम जुटाने के सीरीज-एफ वाले दौर में 15 करोड़ डॉलर जुटाए और इससे इसका मूल्यांकन बढ़कर 3.2 अरब डॉलर हो गया जो साल 2023 के उसके 2.9 अरब डॉलर के मूल्यांकन से कुछ अधिक है।

इसी तरह कौशल विकास और उच्च शिक्षा क्षेत्र की कंपनी अपग्रेड ने सिंगापुर के सॉवरिन वेल्थ फंड टेमासेक से 2.25 अरब डॉलर के स्थिर मूल्यांकन पर छह करोड़ डॉलर जुटाए। फिजिक्स वाला के हालिया निवेश दौर का नेतृत्व करने वाले लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स के देव खरे के अनुसार निवेशक अब छोटे और ज्यादा कुशल एडटेक कारोबारों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

खरे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘साल 2015 और 2022 के बीच उभरी कई एडटेक कंपनियों ने ‘ईजी मनी’ वाले दौर में ऐसा ही किया, जिसमें दक्षता के बजाय मार्केटिंग पर ज्यदा ध्यान दिया गया। परिणामस्वरूप राजस्व के मामले में वे तेजी से बढ़े, लेकिन परिचालन दक्षता में कमी रही, जिससे खासा नुकसान हुआ।

वैश्विक महामारी के दौरान वित्तीय सहायता की पर्याप्त रकम जुटाने वाली अनएकेडमी, बैजूस और वेदांतु समेत कई बड़ी एडटेक कंपनियों को इसके बाद अपना विस्तार करने में संघर्ष करना पड़ा है। इन कंपनियों ने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है और बड़ा नुकसान दर्ज किया है।

खरे ने कहा, ‘इनमें से कई अक्षम कंपनियां या तो रकम जुटाने में विफल रहीं या बहुत कम मूल्यांकन पर रकम मिली। बिक्री और मार्केटिंग पर सीमित खर्च की वजह से कई कंपनियां काफी सिकुड़ गई हैं जबकि अन्य कंपनियां ज्यादा कुशल हो गई हैं।’

हालांकि वित्त वर्ष 23 में वेदांतु ने अपना घाटा 46 प्रतिशत तक कम करके 373 करोड़ रुपये कर दिया, लेकिन इसे विस्तार में चुनौतियों का सामना करना पड़ा और राजस्व 8 प्रतिशत घटकर 152.5 करोड़ रुपये रह गया।

इस बीच वित्त वर्ष 24 में अनएकेडमी का राजस्व 5 प्रतिशत घटकर 1,044 करोड़ रुपये रह गया जबकि घाटा 62 प्रतिशत तक घटकर 631 करोड़ रुपये रह गया। फिजिक्स वाला, एरुडिटस और अपग्रेड जैसे कुशल कारोबार परीक्षा की तैयारी, उच्च शिक्षा और कार्यकारी शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बाजार के अग्रणी के रूप में उभरे हैं।

First Published : December 4, 2024 | 10:43 PM IST