खर्च में कटौती और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी(आईटी) कंपनियों ने बड़े पैमाने पर जूट से बने मूल्यवर्धित उत्पादों की खरीद शुरू कर दी है।
कंपनियां प्लास्टिक और अन्य गैर-पर्यावरण अनुकूल उत्पादों में कटौती कर जूट एसएमई को 5 करोड़ से 8 करोड़ रुपये के ठेके दे रही हैं।
जूट मैन्युफैक्चरिंग डेवलमेंट काउंसिल (जेएमडीसी) द्वारा आयोजित ‘जूट बायर सेलर मीट’ में बाजार प्रोत्साहन अधिकारी टी अयप्पन ने कहा, ‘बेंगलुरु में स्थित तकरीबन 40-50 आईटी कंपनियां जूट से बने फाइल फोल्डर और पूरक उत्पाद खरीद रही हैं।
ऐसे उत्पादों की खरीद के जरिये ये कंपनियां प्लास्टिक और अन्य गैर-पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के उपयोग में 10 फीसदी से भी अधिक की कमी ला रही हैं।’
उन्होंने कहा, ‘विप्रो, आईबीएम और कई अन्य कंपनियों ने नई भर्तियों और टे्रनी के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाली प्रशिक्षण सामग्रियों के तौर पर प्लास्टिक के फाइल फोल्डरों का इस्तेमाल पहले ही बंद कर दिया है।
आईटी कंपनियां जूट से बने उत्पादों को पसंद कर रही हैं और ये उत्पाद कई लघु एवं मझोले जूट उद्यमों के लिए एक जीवनरेखा बन गए हैं।’
भारत से वर्ष 2007-08 में मूल्यवर्धित जूट उत्पादों का निर्यात 1200 करोड़ रुपये था। इस साल जेएमडीसी ने इस निर्यात में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है। केरल और पश्चिम बंगाल की इस निर्यात में प्रमुख भागीदारी है।
अयप्पन ने कहा, ‘जहां केरल को नए उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञता हासिल है वहीं पश्चिम बंगाल को बैग आदि उत्पादों के निर्माण में महारत हासिल है। इन दोनों राज्यों का कुल निर्यात
में तकरीबन 70 फीसदी का योगदान है।’
आईटी कंपनियों का गढ़ और जूट उत्पादों के लिए सबसे बड़ा घरेलू बाजार बेंगलुरु देश में जूट मूल्यवर्धित डिजाइन केंद्र के रूप में उभरा है। बेंगलुरु के मूल्यवर्धित जूट उत्पादों में बैग, हस्तशिल्प, सजावटी सामान, उपहार आदि प्रमुख रूप से शुमार हैं।