आतिथ्य सेवा क्षेत्र पिछले साल कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित उद्योगों में शामिल था। लेकिन इस साल भी उसकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। आतिथ्य सेवा क्षेत्र ने पिछले साल की मार झेलने के बाद सुधार की राह पर चलना अभी शुरू ही किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण विभिन्न राज्यों में स्थानीय लॉकडाउन एवं पाबंदियां शुरू हो गईं। ऐसे में उद्योग को साल 2020 के दोहराए जाने की आशंका सताने लगी है।
ब्रिगेड हॉस्पिटैलिटी के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विनीत वर्मा ने कहा कि मार्च तिमाही के दौरान होटल कारोबार में क्रमिक आधार पर सुधार दिखना शुरू हो गया था। हालांकि एआरआर (औसत कमरा किराया) पर दबाव बरकरार है और वह कोविड-पूर्व स्तर के मुकाबले 60 फीसदी तक पहुंच चुका है। ब्रिगेड शेरेटन ग्रैंड, हॉलिडे इन और बेंगलूरु, कोच्चि, चेन्नई एवं मैसूर में फोर पॉइंट्स बाई शेरेटन की परिसंपत्तियों के मालिक है।
वर्मा ने कहा, ‘हम आगामी तिमाहियों के दौरान कारोबार में कही अधिक सुधार होने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर और लोगों की आवाजाही पर बढ़ती पाबंदियों ने एक बार फिर हमारे कारोबार को झटका दिया है। हमारा क्षेत्र एक और लॉकडाउन को नहीं झेल सकता है।’
कारोबार के संदर्भ में वृहत आर्थिक संकेतकों के साथ-साथ कोविड की रिकवरी रेट में सुधार होने से पिछली दो तिमाहियों के दौरान इस क्षेत्र में सुधार दिखना शुरू हो गया था। यही कारण है कि तीसरी तिमाही के दौरान ऑक्युपेंसी 40 फीसदी तक दर्ज किया गया। इसे मुख्य तौर पर अवकाश श्रेणी, सप्ताहांत के दौरान यात्रा, त्योहारी सीजन, शादी-ब्याह और खानपान की मांग बढऩे से सहारा मिला था।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च के विश्लेषक रशेष शाह ने कहा कि फरवरी 2021 से सुधार की रफ्तार सुस्त पडऩे लगी। इससे अवकाश गंतव्यों के लिए मांग में गिरावट दिखने लगी। जबकि इससे वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही के दौरान होटलों के राजस्व को मुख्य तौर पर रफ्तार मिली थी। कंपनियों द्वारा घर से काम करने की रणनीति को जारी रखने से कारोबारी यात्रा की मांग कम हो गई है। आगामी तिमाहियों में भी यही स्थिति बरकरा रहने के आसार दिख रहे हैं जबकि होटलों के राजस्व में कारोबारी यात्रा का उल्लेखनीय योगदान होता है। नोएसिस कैपिटल एडवाइजर्स के सीईओ नंदीवर्धन जैन ने कहा कि अधिकतर राज्यों में आंशिक लॉकडाउन और अनिवार्य जांच यात्रा को हतोत्साहित कर रहे हैं। होटल कमरों की मांग पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है। पिछली तीन तिमाहियों के दौरान महानगरों में होटल ऑक्यूपेंसी फरवरी के मुकालबे 50 फीसदी घट गई है।
जैन ने कहा, ‘उद्योग के लिए यह एक कठिन तिमाही होगी क्योंकि इस दौरान मांग में कमी आएगी। यदि यही स्थिति बरकरार रही तो होटलों के लिए अपनी परिचालन लागत की भरपाई करना भी मुश्किल होगा क्योंकि पिछले 12 महीनों के दौरान उसे पहले ही तगड़ा झटका लग चुका है।’ शाह ने कहा, ‘हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही होटल उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगी।’
आईसीआईसीआई रिसर्च का मानना है कि चौथी तिमाही के दौरान इंडियन होटल्स जैसे प्रीमियत होटलों के राजस्व में तिमाही आधार पर 3.8 फीसदी की गिरावट हो सकती है जबकि लेमन ट्री जैसे मझोले होटलों के लिए राजस्व में पिछली तिमाही के मुकाबले 5.7 फीसदी की गिरावट दिख सकती है। लेकिन परिचालन के लिहाज से कमजोर तिमाही के बावजूद विश्लेषकों ने उम्मीद जताई है कि तिमाही आधार पर घाटे में कमी दिखेगी क्योंकि अधिकतर होटलों ने निर्धारित लागत को युक्तिसंगत बनाया है। कुल लागत में इसका 70 फीसदी योगदान होता है।