देश में ऊर्जा के बढ़ते संकट से जूझते हुए भारतीय कॉर्पोरेट की नजर उभरते हुई सौर ऊर्जा क्षेत्र पर जा टिकी है।
साथ ही कंपनियां इस क्षेत्र में पहले उतर कर अधिक मुनाफा कमाने पर विचार कर रही हैं। इस मामले में बड़ी कंपनियां, जिनमें एस्सार, इंडियाबुल्स, रिलायसं एडीएजी, टाटा पावर, सूर्यचक्र और यूरो समूह भी गुजरात की तपती धरती पर अपने पांव रखने को तैयार हैं।
राज्य सरकार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर जॉन बायर्न के साथ इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए बातचीत के अंतिम दैर में है ताकि 600 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन के सपने को हकीकत में बदला जा सके। बड़ी कंपनियां जैसे एस्सार, इंडियाबुल्स, रिलायंस, एडीएजी, टाटा पावर, सूर्या चक्र और यूरो समूह के साथ अन्य कंपनियां भी गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी (जीईडीए) के पास अपने फोटोवोल्टिक, थर्मल और हाइब्रिड सोलर परियोजनाओं के प्रस्तावों को लेकर पहुंच रही हैं।
सौर भी हाइब्रिड भी
सूत्रों के अनुसार एस्सार का मकसद सौर ऊर्जा के क्षेत्र में खास हाइब्रिड परियोजना के साथ उतरने का है, जिसमें बिजली उत्पादन के लिए धूप और गैस दोनों के मिश्रण का इस्तेमाल होगा, जबकि इंडियाबुल्स राज्य में 150 मेगावाट के फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल्स की इकाई लगाने की योजना बना रही है।
मुकेश अंबानी की रिलायंस और यूरो सोलर दोनों को केन्द्र सरकार की ओर से हर राज्य में 10 मेगावाट आवंटित कोटा में से 5-5 मेगावाट के लिए आशय पत्र मिल चुका है। रिलायंस की योजना अपने जामनगर विशेष आर्थिक क्षेत्र में पीवी सेल्स इकाई लगाने की है। गुजरात सरकार कंपनियों को राज्य में बढ़ावा देने के लिए अलग से ‘गुजरात सौर ऊर्जा’ पर काम कर रही है। साथ ही इसके लिए अलग शुल्क की भी योजना बनाई जा रही है।
राज्य ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल का कहना है, ‘हमारे एजेंडा में सौर ऊर्जा काफी ऊपर है और हम जल्द ही अपनी अलग पॉलिसी जो इसका समर्थन करेगी की घोषणा करेंगे। हमारा मकसद हमारे अगले साल में निवेशकों के लिए होने वाले वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में निवेश के लिए सौर ऊर्जा को एक अलग क्षेत्र के रूप में शामिल करना है।’
बड़ी परियोजनाओं की आहट
सूत्रों का कहना है कि टाटा पावर की कच्छ में एक फोटोवोल्टिक सेल्स इकाई लगाने की एक बड़ी परियोजना है, जिसकी उत्पादन क्षमता लगभग 150-200 मेगावाट होगी। उनके मुताबिक सूर्या चक्र जहां 100 मेगावाट बिजली परियोजना लगाने पर विचार कर रही है, वहीं एडीएजी समूह संभाव्यता परीक्षण करने जा रही है।
जीईडीए के निदेशक वाघमिन बुच ने कंपनियों के नामों का खुलासा किए बिना बताया, ‘हम 10-12 कंपनियों से मिलने प्रस्तावों पर अंतिम विचार कर रहे हैं, जो कम से कम सौर ऊर्जा का 600 मेगावाट उत्पादन कर सकें।’ फिलहाल पीवी सेल्स के लिए उत्पादन लागत 13-15 रुपये प्रति इकाई आती है, जबकि थर्मल के लिए यह लागत 10 से 11 रुपये प्रति इकाई है।
बुच का कहना है, ‘हमारे अध्ययन बताता है कि जिस तरह से जीवाश्म ईंधन की कीमत बढ रही है और सौर ऊर्जा में जिस तरह से तकनीक में वृध्दि हो रही है, इससे अगले 4 से 5 वर्षों में कीमतें वाजिब हो जाएंगी। हमने अमेरिका से सौर ऊर्जा विशेषज्ञों से गुजरात के लिए बातचीत की है।’