गोदरेज समूह की प्राइवेट इक्विटी इकाई गोदरेज फंड मैनेजमेंट (जीएफएम) कार्यालय परिसंपत्तियों में निवेश की खातिर पीई फंड जुटाने के लिए वैश्विक निवेशकों के साथ बातचीत कर रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इस फंड का आकार करीब 50 करोड़ डॉलर यानी 3,650 करोड़ रुपये होगा। गोदरेज फंड मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक करण बोलारिया ने कहा, हम दूसरा फंड लाने जा रहे हैं और इसके लिए हमारी बातचीत वैश्विक निवेशकों से हो रही है।
उन्होंने कहा, यह फंड मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, पुणे और बेंगलूरु के बाजारों में 5-5 करोड़ डॉलर से 15-15 करोड़ डॉलर तक निवेश करेगा। डच पेंशन फंड एपीजी और आलियांज रियल एस्टेट जीएफएम के पिछले फंड में निवेश कर चुकी है।
उन्होंने कहा कि फंड मैनेजर ने मुख्य फंड का पूरा 45 करोड़ डॉलर और गोदरेज ऑफिस फंड का 15 करोड़ डॉलर निवेश कर चुके हैं। उन्होंंने कहा कि जीएफएम का नजरिया ए श्रेणी वाले ऑफिस स्पेस को लेकर तेजी का है। ऐसे ऑफिस में सेंट्रल एसी होते हैं और इनका रखरखाव भी बेहतर होता है।
उन्होंने कहा, ए श्रेणी की कार्यालय परिसंपत्तियोंं की किल्लत है। कई ऐसे क्षेत्र हैं मसलन आईटी, जहां फिजिकल ऑफिस की दरकार है और यह हमारे प्लेटफॉर्म के लिए अनुकूल ट्रेंड है। बालोरिया ने कहा कि जीएफएम सक्रियता के साथ मुंबई, एनसीआर, पुणे और बेंगलूरु में जमीन तलाश रही है और जमीन खरीदने के लिए कई जमीन मालिकों से बातचीत भी कर रही है।
उन्होंने कहा, जमीन का मूल्यांकन 10-20 फीसदी कम हुआ है। जमीन खरीदने के लिए यह अच्छा वक्त है क्योंकि मूल्यांकन घटा है और ए श्रेणी वाली कार्यालय परिसंपत्तियों की मांग है। उन्होंने कहा कि जीएफएम जब एक निश्चित ऊंचाई पर पहुंच जाएगी तब वह रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट यानी रीट पेश करने पर विचार करेगी। फंड मैनेजर डेटा सेंटर में भी निवेश पर विचार कर रहे हैं।
जीएफएम के पास करीब 40 लाख वर्गफुट निर्माणाधीन कार्यालय परिसंपत्तियां हैं। इनमें से करीब 10 लाख वर्गफुट इस साल दिसंबर तक परिचालन में आ जाएगा। बालोरिया ने कहा, बाकी 30 लाख वर्गफुट अगले 24 से 36 महीने में परिचालन में आ जाएगा।
ओबेराय रियल्टी, टाटा रियल्टी जैसे कई अन्य प्रॉपर्टी डेवलपर अपने कार्यालय पोर्टफोलियो का विस्तार करना चाहती हैं। उदाहरण के लिए ओबेराय रियल्टी बेंगलूरु और एनसीआर जैसे शहरों में विस्तार करना और वहां कार्यालय परिसंपत्तियां विकसित करना चाहती हैं।