कार्ड के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) से जीई मनी का गठजोड़ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के गले नहीं उतर रहा।
क्राउ के संयुक्त उद्यम के लिए एसबीआई और जीई मनी का दशकों पुराना गठजोड़ है। उल्लेखनीय है कि जीई मनी ने ऐसे ही एक उद्यम के लिए सितंबर 2007 में एलआईसी से समझौता किया था।
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीई मनी का एलआईसी से कार्ड के लिए किए गए गठजोड़ से एसबीआई कार्ड प्रभावित हो सकता है और हितों का टकराव भी संभव है। विदित हो कि एसबीआई कार्ड्स भारत में दूसरे सबसे बड़ी कार्ड जारी करने वाली कंपनी है।तीसरी तिमाही में हुए जबर्दस्त घाटे के लिए एसबीआई के अधिकारियों ने कार्ड व्यवसाय के वर्तमान प्रबंधन को जिम्मेदार बताया है।
वास्तव में, पहले ही एसबीआई के कुछ मुख्य महा प्रबंधकों का साक्षात्कार कार्ड व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद के लिए हो चुका है। अप्रैल से दिसंबर 2007 के दौरान एसबीआई कार्ड को 123 करोड़ रुपये का शुध्द घाटा झेलना पड़ा है।एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह एक अजीब सी परिस्थिति है कि 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने के बावजूद हम प्रबंधन के निर्णय के लिए कुछ कह नहीं पाये।’
जीई मनी के प्रवक्ता ने हालांकि प्रबंधन में बदलाव संबंधी बयान को ‘कल्पना’ का नाम दिया है और उन्होंने कहा कि अंदरुनी तौर पर ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही ऐसी कोई घोषणा की गई है। इसके अतिरिक्त जीई मनी ने कहा कि एसबीआई कार्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर रुपम अस्थाना की नियुक्ति एसबीआई से परामर्श के बाद की गई थी।
प्रवक्ता ने कहा कि कार्यकारियों की तलाश करने वाली एक कंपनी को उपयुक्त उम्मीदवारों के तलाश की जिम्मेदारी दी गई थी और उसने जो नाम सुझाए थे उनका साक्षात्कार दोनों साझेदारों ने किया था।
एसबीआई कार्ड्स में दो इकाईयां है- एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और जीई कैपिटल बिजनेस प्रोसेसेज मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड। पहली इकाई में एसबीआई की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत की है जबकि दूसरी इकाई में जीई मनी की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत की है।
नए कार्ड उद्यम में एलआईसी की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत की होगी और जीई मनी पूंजी के 35 प्रतिशत के लिए अभिदान कर रहा है। इस उद्यम के अन्य साझेदारों में कॉर्पोरेशन बैंक, एलआईसी म्युचुअल फंड और एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस शामिल हैं।
एसबीआई के अधिकारियों का कहना है कि एलआईसी के साथ गठजोड़ करने से पहले जीई मनी ने एसबीआई की कोई राय नहीं ली थी।हालांकि, अधिकारियों ने यह भी माना कि जीई मनी के साथ समझौता कुछ इस तरह का किया गया था कि उसे इस मामले में राय लेने की जरुरत नहीं थी।जीई के एक अधिकारी ने बताया कि एलआईसी के साथ गठजोड़ की घोषणा से पहले एसबीआई को इस बाबात सूचना दे दी गई थी।