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परिधान, दवा, चमड़ा निर्यातकों पर योजना के दुरुपयोग का आरोप, रिफंड अटकने का खटका

Published by
श्रीमी चौधरी
Last Updated- January 15, 2023 | 11:59 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों को पता चला है कि कुछ निर्यातक सरकार की शुल्क वापसी योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं और सामान बनाने में लगने वाला कर उसके जरिये वापस ले रहे हैं।

इस मामले से अवगत दो अधिकारियों के अनुसार 100 से अधिक निर्यातकों ने अवैध तरीके से कर लाभ का फायदा उठाया है। उन्होंने एकीकृत जीएसटी रिफंड का दावा भी किया और शुल्क वापसी प्रोत्साहन का लाभ भी लिया। इनमें मुख्य तौर पर परिधान, दवा और चमड़ा उत्पाद क्षेत्र के निर्यातक शामिल हैं।

एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने ऐसे कई निर्यातकों का पता लगाया है जो कथित तौर पर वस्तुओं के निर्यात पर एकीकृत जीएसटी रिफंड का दावा कर रहे हैं जबकि वे कुछ रकम के लिए शुल्क वापसी योजना के तहत भी दावा कर रहे हैं, जो अवैध है।’

एक निर्यातक ने बताया कि इस मामले की जांच के कारण सितंबर 2022 के बाद अब तक करीब 600 निर्यातकों के 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये के रिफंड अटक गए हैं। उन्होंने बताया कि इससे राहत पाने के लिए कुछ निर्यातकों ने अदालतों में याचिका भी दायर की हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि इससे निर्यातकों को रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि रिफंड की प्रक्रिया जारी है और हम सभी रिफंड दावों की जांच कर रहे हैं क्योंकि हमें कुछ प्रोत्साहन योजनाओं के दुरुपयोग की आशंका है।

अधिकारियों ने बताया कि इनमें मुख्य तौर पर मुंबई, सूरत, लुधियाना और तिरुपुर के निर्यातक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर निर्यातकों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। उसके बाद उन्हें जुर्माने और 18 फीसदी ब्याज के साथ बेजा लाभ का भुगतान करना होगा।

एक अधिकारी ने कहा कि शुल्क वापसी योजना निर्यात की गई वस्तुओं की विनिर्माण लागत से संबंधित बिना रियायत वाले कर एवं शुल्कों की भरपाई के लिए है। निर्यातक बिना रियायत वाले कर एवं शुल्कों का भुगतान करते हैं जिनमें मूल्यवर्द्धित कर, मंडी कर, बिजली शुल्क, परिवहन के लिए ईंधन आदि शामिल हैं। जीएसटी के लिए शुल्क वापसी योजना का लाभ नहीं लिया जा सकता है क्योंकि समान वस्तु के लिए दोनों लाभ का दावा करना कानून के तहत निषिद्ध है।

दूसरी ओर, एकीकृज जीएसटी (आईजीएसटी) के तहत निर्यात शून्य-रेटेड होगा जिस पर निर्यातक आउटपुट आपूर्ति के लिए इनपुट पक्ष पर भुगतान किए गए करों (जीएसटी) के क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए आपूर्तिकर्ता रिफंड का दावा करने के हकदार हैं।

फिलहाल आईजीएसटी रिफंड केंद्रीय कर अधिकारियों के पास जमा कराए गए सीमा शुल्क और वस्तु एवं सेवा कर रिटर्न के साथ दिए गए शिपिंग बिल के आधार पर निर्यातकों को स्वचालित रूप से जारी किए जाते हैं। रिटर्न दाखिल करने के एक पखवाड़े के भीतर बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के रिफंड जारी कर दिया जाता है। शुल्क वापसी योजना के तहत दावे के निपटान में करीब एक महीने का समय लगता है।

रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक रस्तोगी ने कहा, ‘शुल्क वापसी और आईजीएसटी निर्यातकों को प्रोत्साहन देने वाली दो अलग-अलग योजनाएं हैं। इसे निर्यातकों के अन्य मुद्दों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इस प्रकार के लाभ जारी करने में किसी भी देरी से कार्यशील पूंजी का प्रवाह प्रभावित होगा जो भारतीय निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के सरकार के उद्देश्य के खिलाफ होगा।’

First Published : January 15, 2023 | 11:59 PM IST