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शिशु भोजन में चीनी पर नेस्ले के दावों की जांच करेगा FSSAI

नेस्ले ने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान, हम चीनी की मात्रा विभिन्न वैरिएंट के आधार पर पहले ही 30 प्रतिशत तक घटा चुके हैं।

Published by
अक्षरा श्रीवास्तव   
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- April 18, 2024 | 10:53 PM IST

भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) नेस्ले के उन दावों की ‘बारीकी से जांच’ करेगा, जिसमें कहा गया है कि निम्न और मध्य आय वाले देशों में बेचे जाने वाले अपने शिशु दूध और अनाज उत्पादों में वह अधिक चीनी और शहद मिलाती है। इस संबंध में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।

यह कदम ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन की जांच रिपोर्ट के एक दिन उठाया गया है। इस जांच में खुलासा हुआ था कि वैश्विक पैकेजिंग कंपनी ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले अपने निडो और सेरेलैक में सुक्रोज या हनी की जगह चीनी शामिल की थी। यह जांच स्विटजरलैंड की जांच संस्था पब्लिक आई द्वारा इंटरनैशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) की भागीदारी में कराई गई थी।

एफएसएसएआई के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापे जाने के अनुरोध पर कहा, ‘भले ही हमें अभी उस संगठन की साख की पुष्टि करनी है जिसने जांच की थी, लेकिन दावों के संबंध में नेस्ले इंडिया का प्रतिक्रिया अपराध की स्वीकृति को दर्शाती है।’ इस बीच, एफएसएसएआई के अधिकारियों ने कहा है कि जांच प्रक्रिया का निष्कर्ष संबद्ध वैज्ञानिक समिति को सौंप दिया जाएगा।

नेस्ले इंडिया के एक अधिकारी ने कहा, ‘अतिरिक्त चीनी में कमी लाना नेस्ले इंडिया की प्राथमिकता है। पिछले पांच साल के दौरान, हम चीनी की मात्रा विभिन्न वैरिएंट के आधार पर पहले ही 30 प्रतिशत तक घटा चुके हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अनुपालन नेस्ले इंडिया की विशेषता है और हम इसके साथ समझौता नहीं करेंगे। हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि भारत में निर्मित हमारे उत्पाद कोडेक्स मानकों के अनुरूप हों।’

First Published : April 18, 2024 | 10:53 PM IST