फॉक्सकॉन टेक्नॉलजीज द्वारा चीन के ‘दबाव’ में आकर चीनी इंजीनियरों एवं तकनीशियनों को वापस भेजने की खबर के एक दिन बाद अब सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि कंपनी ने इस स्थिति से निपटने के लिए एक वैकल्पिक योजना पहले ही तैयार कर ली है। सूत्रों के अनुसार फॉक्सकॉन आईफोन 17 के उत्पादन को प्रभावित होने से बचाने के लिए ताइवान और अमेरिका से इंजीनियर लाएगी।
चीन से विनिर्माण कंपनियां अब दूर छिटक रही हैं और भारत जैसे देशों में अपने उत्पादन संयंत्र स्थापित कर रही हैं। माना जा रहा है कि चीन इस बात को भांपते हुए एक सोची-समझी रणनीति के तहत पश्चिमी देशों की कंपनियों को विनिर्माण गतिविधियां दूर ले जाने से रोकने की कोशिश कर रहा है। चीन पहले से ही भारत में आईफोन 17 बनाने के लिए जरूरी मशीनों के निर्यात की अनुमति देने में आनाकानी कर रहा है।
इस पूरे मामले से वाकिफ एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ’फॉक्सकॉन ने ताइवान और अमेरिका से इंजीनियर बुलाने का वैकल्पिक इंतजाम पहले ही कर लिया था। कंपनी को इस बात का अंदेशा था कि चीन अपने इंजीनियरों एवं तकनीशियनों को वापस बुला सकता है। अब चिंता केवल इस बात को लेकर है कि आईफोन 17 तैयार कर उन्हें निर्धारित योजना के अनुसार बाजार में कैसे पेश किया जाए। आईफोन के इससे पिछले मॉडल की कमान पहले ही भारतीय तकनीशियनों के हाथों में है। चीन के विशेषज्ञों की जगह लेने में अधिक से अधिक दो महीने लग सकते हैं।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड ने फॉक्सकॉन और ऐपल दोनों से ही उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ऐपल और फॉक्सकॉन दोनों को पिछले चार-पांच महीनों से इस बात का अंदेशा था कि चीन अपने इंजीनियरों को वापस बुला सकता है। सूत्रों ने कहा कि तकनीशियनों का प्रबंध तो दूसरे देशों से हो जाएगा मगर प्रमुख उपकरणों का आयात तब भी एक मुद्दा रह जाएगा। इस वजह से आईफोन 17 की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि चीन के इंजीनियरों के रुखसत होने के बाद आईफोन तैयार करने पर लागत अधिक आ सकती है।
उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि चीन के इंजीनियरों की तुलना में अमेरिका के तकनीकी विशेषज्ञ लगभग छह गुना अधिक भुगतान लेगें जबकि ताइवान के इंजीनियर 50-60 फीसदी अधिक रकम मांगेगे। एक सरकारी सूत्र के अनुसार चीन के इंजीनियरों के जाने से केवल फॉक्सकॉन पर ही असर होगा क्योंकि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी आईफोन बनाने वाली दूसरी कंपनियों में ताइवान एवं अन्य देशों के इंजीनियर एवं तकनीशियन काम कर रहे हैं।
इस मामले से वाकिफ एक अन्य सूत्र ने कहा कि तकनीक भी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है क्योंकि इनमें ज्यादातर ऐपल और फॉक्सकॉन से जुड़ी हैं। इस सूत्र ने कहा, ‘फॉक्सकॉन जरूरत के हिसाब से अपनी दूसरी इकाइयों में काम करने वाले विशेषज्ञों की भी सेवाएं ले रही है। हम इस मामले को लेकर उनसे लगातार संपर्क में हैं। चीन अपने क्षेत्रों से मानव संसाधन और कच्चे माल का निर्यात रोक रहा है और अब अपने इंजीनियरों को बुलाना भी उसकी इसी रणनीति का एक हिस्सा है।’