ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के पिछले हफ्ते के आदेश को उसके खंडपीठ में चुनौती दी है। अदालत के एकल पीठ ने अपने फैसले में भारतीय प्रतिस्पद्र्घा आयोग (सीसीआई) को इन कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पद्र्घा रोधी व्यवहार के आरोपों की जांच शुरू करने की अनुमति दी थी। सूत्रों ने कहा कि एमेजॉन इंडिया ने भी इस फैसले को अलग से चुनौती दी है लेकिन दोनों मामलों की सुनवाई एकसाथ की जाएगी। एमेजॉन इंडिया ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। फ्लिपकार्ट का पक्ष जानने के लिए संदेश भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
दिल्ली की टेकलेजिस एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर में टीएमटी एवं आईपी प्रैक्टिस के हेड पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, ‘ई-कॉमर्स कंपनियों का लक्ष्य साथ मिलकर इस लड़ाई को लडऩा है और यह मामला लंबा चल सकता है तथा अंतत: सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच सकता है।’
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक फ्लिपकार्ट ने 16 जून को याचिका दायर की। उसने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कंपनी के खिलाफ जांच शुरू करने की जो अनुमति दी है वह उचित नहीं है और उस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 12 जून को एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की रिट याचिका खारिज करते हुए सीसीआई को इन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति दी थी। खबरों के अनुसार सीसीआई ने भी आरोपों की जांच में तेजी लाने की योजना बनाई है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जांच से बचना चाह रही हैं, इसलिए वे दोबारा अदालत की शरण में गई हैं। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘अदालत में अपील करने में कंपनियों ने जितनी तेजी दिखाई है, उससे पता चलता है कि गैर-कानूनी और गलत आचरण में उनकी संलिप्तता है, जिससे छोटे व्यापारियों और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। हालांकि हम इस मसले पर हर स्तर पर मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्घ हैं।’
पिछले साल सीसीआई ने एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने की घोषणा की थी। सीसीआई को दिल्ली व्यापार महासंघ की ओर से शिकायत मिली थी कि दोनों ई-कॉमर्स दिग्गज कुछ विक्रेताओं को तरजीह दे रही हैं जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान हो रहा है।