वाहनों के कलपुर्जे बनाने वाला काइनेटिक समूह अहमदनगर में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) के लिए उन्नत बैटरी विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर रहा है। करीब 50 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित होने वाले इस कारखाने की सालाना क्षमता 60 हजार बैटरी उत्पादन की है।
दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए रेंज एक्स बैटरी एलएफपी और एनएमसी प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी। काइनेटिक समूह के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजिंक्य फिरौदिया ने सोहिनी दास से बातचीत में अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। मुख्य अंशः
बैटरी कारोबार में उतरने की मुख्य वजह क्या रही?
काइनेटिक समूह में पिछले चार-पांच वर्षों से हम इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की लोकप्रियता को काफी गंभीरता से ले रहे हैं और हम समूह की विभिन्न कंपनियों के लिए ईवी के कलपुर्जे बनाने में निवेश कर रहे हैं। मगर आपको पता है कि ईवी के लिए प्रतिबद्धता पूरी नहीं होगी अगर आप बैटरी कारोबार में नहीं उतरेंगे, क्योंकि वाहन का 50 फीसदी लागत बैटरी ही है।
अभी लंबे समय तक चले वाली, सुरक्षित और कुछ किफायती जैसी कई प्रौद्योगिकियां हैं। हमने अहमदनगर के अपने मौजूदा कारखाने के पास परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए बड़ा भूखंड खरीदा है। हम वहां पिछले 50 से 52 वर्षों से विनिर्माण कर रहे हैं और हमें स्थानीय समझ है।
हम अपने ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक बैटरी बना सकते हैं। भारतीय इंजीनियरों की टीम के अलावा हमारे पास कोरिया, चीन जैसे देशों में भी संपर्क हैं, जहां बैटरी विनिर्माण काफी लोकप्रिय है। हमने काइनेटिक की पहचना के इतर ब्रांड को रेंजएक्स रखा है, क्योंकि यह एक स्वतंत्र कंपनी है जिसका उद्देश्य दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए बैटरी बेचना है। अभी हमारी क्षमता सालाना 60 हजार बैटरी उत्पादन की है, जिसे वृद्धिशील पूंजीगत व्यय के साथ सालाना 1.20 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
आप एलएफपी और एनएमसी दोनों तरह की बैटरियां बना रहे हैं। आपको क्या लगता है किसके प्रति ज्यादा आकर्षण है?
फिलहाल भारत के इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार में करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी निकेल मैंगनीज कोबाल्ट (एनएमसी) बैटरी की है। चीन के कारण ऐसा है, क्योंकि वहां की संस्कृति दोपहिया वाहनों का उपयोग के बाद हटा देने की है और वहां के लोग पांच साल या उसके बाद अपनी स्कूटर बदल लेते हैं। भारतीय ई दोपहिया बाजार चीनी बैटरियों के साथ शुरू किया गया था और इसलिए एनएमसी बैटरी की बड़ी हिस्सेदारी है।
सही मायने में लीथियम आयन फॉस्फेट (एलएफपी) बैटरियां होनी चाहिए जो लंबे समय तक (चलती हैं और वे काफी सुरक्षित भी होती हैं। भारी और बड़ी बैटरी होना इसकी खामी है। मेरे विचार से भारतीय उपभोक्ता लंबे समय तक चलने वाले उत्पादों को तरजीह देते हैं और ऐसा सिर्फ एलएफपी प्रौद्योगिकी के साथ ही संभव है। कुछ बड़े भारतीय विनिर्माता अब एलएफपी रेंज रखने की दिशा में काम कर रहे हैं।
पांच वर्षों में आपके ईवी कलपुर्जा कारोबार का टर्नओवर कितना होगा?
ईवी दोपहिया और तिपहिया वाहनों की प्रदर्शन काफी शानदार रहा है, जहां किसी को लंबी दूरी की चिंता नहीं होती है। 10 साल के अंतराल में यह श्रेणी पैसे के लिए अधिक मूल्य वाले उत्पाद आने से बेहतर और बेहतर होता जाएगा। कुछ यूरोपीय कंपनियां हैं जो अपने ईवी उत्पादों के लिए हमसे बात करना चाहती हैं। हम काइनेटिक समूह में नियंत्रक, मोटर, गियर बॉक्स, एक्सल, ईवी बैटरी जैसी किसी वाहन के लिए जरूरी सभी उत्पाद बना रहे हैं।