सालाना 100 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियां मई से एक सप्ताह से ज्यादा पुराने इनवाइस को ई-इनवाइस पोर्टल पर अपलोड नहीं कर सकेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर पोर्टल पर 7 दिन से ज्यादा पुराने इनवाइस अपलोड किए जाते हैं तो इनवाइस प्राप्त करने वाले वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकेंगे।
समय का प्रतिबंध दस्तावेज के प्रारूप वाले इनवाइस पर लागू होगा, रिपोर्ट डेबिट/क्रेडिट नोट्स पर लागू नहीं होगा।
एएमआरजी ऐंड एसोसिएट्स में सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि आपूर्तिकर्ता इनवाइस जारी किए जाने की तिथि को ध्यान में रखे बगैर पोर्टल पर इनवाइस अपलोड कर रहे हैं। अब तक जीएसटीएन इन इनवाइस को स्वीकार कर लेता था।
केपीएमजी इंडिया में अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि नई अनुपालन व्यवस्था में आंतरिक तालमेल और बेहतर सूचना तकनीक (आईटी) व्यवस्था की जरूरत होगी।
ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि इस कदम से जीएसटी संग्रह बढ़ाने में मदद मिल सकती है, अगर 100 करोड़ के कारोबार की सीमा घटा दी जाती है या सभी करदाताओं के लिए इसे अनिवार्य कर दिया जाता है।