भारी उद्योग मंत्रालय (MHI) ने मंगलवार को घोषणा की कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने वाली योजना (पीएलआई) के लिए 7 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस योजना के तहत खासतौर पर लिथियम आयन एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरी बनाने वाली कंपनियों को मदद दी जाएगी। सरकार का लक्ष्य 10 गीगावाट घंटे (GWh) क्षमता की बैटरी बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।
इस योजना के लिए वैश्विक निविदा निकाली गई थी, जिसके लिए ACME क्लीनटेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, अमारा राजा एडवांस्ड सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, अनवी पावर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, JSW नियो एनर्जी लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, लुकास टीवीएस लिमिटेड और वारी एनर्जीज लिमिटेड सहित कुल 7 कंपनियों ने आवेदन किया है। इन कंपनियों ने कुल मिलाकर 70 GWh क्षमता वाली बैटरी बनाने के लिए आवेदन किया है।
इसी उद्देश्य से “ACC बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम” नामक PLI योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत भारत में 50 गीगावॉट क्षमता की एसीसी बैटरी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 18,100 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
मई 2021 में मंजूरी मिलने के बाद जनवरी 2024 में इस योजना को 3,620 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन के साथ लॉन्च किया गया था। इस योजना से भारत में एसीसी बैटरी बनाने वाली कंपनियों को वित्तीय मदद मिलेगी, जिससे सस्ती बैटरी बन पाएंगी।
एसीसी बैटरी भंडारण पीएलआई योजना के लिए सरकार ने 12 फरवरी, 2024 को एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में योजना और बोली प्रक्रिया के बारे में संभावित कंपनियों को जानकारी दी गई। इसके बाद इच्छुक कंपनियों ने 22 अप्रैल 2024 तक सीपीपी पोर्टल के जरिए अपनी बोलियां जमा करा दीं। 23 अप्रैल को इन बोलियों में से टेक्निकल बोलियां खोली गईं।
भारत सरकार ने 2022 में एसीसी बैटरी बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने वाली पीएलआई योजना शुरू की थी। इस योजना का लक्ष्य 2030 तक भारत में 30 गीगावॉट क्षमता की एसीसी बैटरी बनाने की फैक्ट्रियां लगाना था।
पहली बार में ओला सेल टेक्नोलॉजीज को 20 गीगावॉट क्षमता के साथ सबसे बड़ा प्रोत्साहन मिला। इसके अलावा एसीसी एनर्जी स्टोरेज और रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी स्टोरेज को भी 5-5 गीगावॉट क्षमता के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई।
शुरुआत में 20 गीगावॉट क्षमता हुंडई ग्लोबल मोटर्स को दी गई थी लेकिन बाद में उन्होंने इसे वापस कर दिया। अब सरकार इस 20 गीगावॉट क्षमता के लिए फिर से बोली लगाने की प्रक्रिया चला रही है।
इस योजना के तहत सरकार का मुख्य लक्ष्य यह है कि भारत में एसीसी बैटरी बनाने वाली कंपनियां ज्यादा से ज्यादा सामान भारत में ही बनाएं और बैटरी बनाने की लागत कम हो ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी टिक सकें. साथ ही यह कंपनियां किन मशीनों, कच्चे माल आदि का इस्तेमाल करेंगी यह उन्हें चुनने की स्वतंत्रता दी गई है. इस तरह से यह योजना भारत में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाने में मदद करेगी।