सितंबर 2024 से अगस्त 2025 की अवधि में पूर्वी एशिया और पश्चिमी देशों के बीच दिल्ली हवाई अड्डे से कुल 6,70,000 यात्रियों ने ट्रांजिट किया। इसमें सालाना आधार पर 34 प्रतिशत की उछाल आई है। दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (डायल) ने आज यह जानकारी दी।
जीएमआर समूह के नेतृत्व वाली डायल ने बयान में बताया कि पूर्व-पश्चिम ट्रांजिट यातायात में एयर इंडिया की हिस्सेदारी 67 प्रतिशत रही। इसके बाद 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इंडिगो का स्थान रहा। दोनों विमानन कंपनियां संयुक्त रूप से दिल्ली के जरिये होने वाले कुल यात्री यातायात का 90 प्रतिशत से अधिक संभालती हैं।
दिल्ली ने थाईलैंड के लिए भारत के प्रमुख द्वार के रूप में अपनी स्थिति भी मजबूत की है। अब वह बैंकॉक, फुकेत, क्राबी और डॉन मुआंग जाने वाली 120 साप्ताहिक उड़ानों का संचालन कर रही है जो थाईलैंड के लिए भारत की कुल उड़ानों का 26 प्रतिशत है। डायल ने बताया कि 26 अक्टूबर को क्राबी के लिए नया रूट शुरू हुआ।
थाईलैंड के अलावा दिल्ली हवाई अड्डे का दक्षिण-पूर्व एशिया नेटवर्क भी लगातार बढ़र रहा है। एयर इंडिया अगले एक महीने में कुआलालंपुर और देनपसार (बाली) के लिए उड़ानों की संख्या प्रति सप्ताह 7 से बढ़ाकर 10 करेगी जबकि इंडिगो 20 दिसंबर से हनोई और 10 नवंबर से गुआंगझू के लिए दैनिक सेवाएं शुरू करेगी। दिल्ली-गुआंगझू की यह उड़ान कोविड-19 के बाद से भारत और चीन के बीच पहली नियमित यात्री सेवा होगी।
पूर्व की ओर जाने वाली उड़ानों की बात करें, तो तोक्यो के हानेदा और नारिता हवाई अड्डों के लिए 28 साप्ताहिक उड़ानों के साथ जापान और भारत की वायु कनेक्टिविटी में दिल्ली सबसे आगे है। इसमें भारत-जापान की सभी उड़ानों का 70 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।