भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और रिलायंस जियो (Reliance Jio) जैसी देसी दूरसंचार कंपनियां सैटेलाइट ब्रॉडबैंड संचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की अवधि को तीन से पांच वर्षों तक सीमित करने पर जोर दे रही है। कंपनियों की सरकार से मांग है कि इसे लंबी अवधि के बजाय सीमित समय के लिए किया जाए और उसके बाद नए सिरे से इसका आवंटन किया जाए।
हाल ही में इंडियन मोबाइल कांग्रेस के दौरान केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की थी कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए तरंगें प्रशासनिक रूप से तय दर पर पेश की जाएंगी और दुनिया के अन्य देशों की तरह इसके लिए नीलामी प्रक्रिया नहीं होगी। इसके बाद दोनों देसी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा सीधे तौर पर ईलॉन मस्क की स्टारलिंक और एमेजॉन की कुइपर से हो गई, जिन्होंने नियामक को प्रस्ताव दिया है कि उन्हें स्थलीय लाइसेंस के अनुरूप ही उन्हें शेयर्ड स्पेक्ट्रम 20 वर्षों के लिए दी जाए। दोनों वैश्विक कंपनियां स्पेक्ट्रम के प्रशासन द्वारा होने वाले आवंटन पर जोर दे रही है।
सुनील मित्तल की वन वेब ने बीते महीने के अंत में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को दिए अपने आवेदन में कहा है कि भले ही वे 20 वर्षों तक स्पेक्ट्रम आवंटन के पक्ष में हैं मगर यह भी जरूरी है कि सभी जरूरी नियामक आवश्यकताओं के बारे में नियामक अथवा लाइसेंसकर्ता जलद से जल्द स्पष्ट जानकारी दे।
इसने कहा, ‘इस उद्योग की प्रकृति को देखते हुए और मौजूदा उपलब्ध उपग्रह संसाधनों के तत्काल इस्तेमाल की जरूरत को देखते हुए प्राधिकरण 3 से 5 साल के लिए ही वैधता पर विचार कर सकती है ताकि सेवाएं जल्द शुरू हो सकें।’
इससे इत्तेफाक रखते हुए भारती एयरटेल ने भी सुझाया है कि उपग्रह स्पेक्ट्रम को 3 से 5 वर्ष की अवधि के लिए ही दिया जाना चाहिए और उसके बाद स्थिति का दोबारा आकलन कर फैसला किया जाना चाहिए। कंपनी ने अपने रुख को जायज ठहराते हुए कहा है कि भारत में अभी सबसे जरूरी है कि अब तक जो इलाके जुड़े नहीं हैं उन्हें जोड़ा जाए और और 3 से 5 वर्ष की वैधता इस उद्देश्य के लिए सैटकॉम को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त है।
साथ ही कहा गया है कि उसके बाद यह मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या इसकी जरूरत है। स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक मूल्य पर निर्धारित करने की जोर देने वाले एयरटेल अब शहरी इलाकों में स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग कर रही है, लेकिन वह चाहती है कि दूरदराज और असंबद्ध क्षेत्रों में इसे प्रशासनिक तौर पर ही दिया जाए। स्पेक्ट्रम की नीलामी पर जोर देने वाली रिलायंस जियो ने दो विकल्प दिए हैं।