रियल एस्टेट क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी डीएलएफ की योजना अपनी सहायक कारोबारी परिसंपत्तियां बेच 5,500 करोड़ रुपये जुटाने की है।
कंपनी के मुताबिक, ऊर्जा इकाइयों और होटलों को बेच वह अपने कर्ज का बोझ कम करेगी। इसके अलावा डीएलएफ एसेट्स (डीएएल) के जरिए 2,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई गई है।
कंपनी ने यह कदम पिछले एक साल में कुल कर्ज में 33 फीसदी की वृद्धि के बाद उठाया है। उल्लेखनीय है कि मार्च 2008 में कंपनी का कुल कर्ज 12,277 करोड़ रुपये था, जो मार्च 2009 में बढ़कर 16,358 करोड़ रुपये हो गया।
वैसे मार्च 2009 तक कंपनी का शुद्ध कर्ज 13,958 करोड़ रुपये था। शुद्ध कर्ज का हिसाब कंपनी के पास मौजूद 1,198 करोड़ रुपये की नगदी और दूसरों को दिए 1,202 करोड़ रुपये के कर्ज का योग को कुल कर्ज में से घटाकर निकाला गया है।
कंपनी ने लक्ष्य रखा है कि मार्च 2010 तक शुद्ध कर्ज 53.73 फीसदी कम कर 6,458 करोड़ रुपये तक सीमित कर लिया जाए। इसके लिए नॉन-कोर बिानेस की परिसंपत्तियों को बेचा जाएगा। बीते वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का राजस्व भी 28 फीसदी कम होकर 10,541 करोड़ रुपये हो गया।
बिक्री में हुई कमी और ग्राहकों को लुभाने के लिए दी गई छूट के चलते राजस्व घटा है। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान डीएलएफ के शुद्ध मुनाफे में 41 फीसदी की कमी हुई और यह 4,629 करोड़ रुपये रह गया। चौथी तिमाही की बात करें तो इस दौरान मुनाफे में 93 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
चौथी तिमाही में डीएलएफ का शुद्ध मुनाफा महज 159 करोड़ रुपये रह गया। दूसरी ओर सहायक कारोबारों जैसे इंश्योरेंस, होटल और ऊर्जा में कंपनी को करीब 163 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
डीएलएफ के उपाध्यक्ष राजीव सिंह के मुताबिक, पवन ऊर्जा कारोबार और तीन लैंड पार्सल को बेचने से कंपनी को करीब 2,100 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। बाकी के रुपये होटल आदि की बिक्री से जुटाए जाने की योजना है।
सिंह के मुताबिक, ”हमारे मुनाफे में बहुत ज्यादा योगदान न कर रहे सहयोगी कारोबारों की बिक्री से हम धन जुटाने जाएंगे। 3,500 करोड़ रुपये के लिए तो पूरा इंतजाम हो गया है और बाकी के 2,000 करोड़ रुपये के लिए बातचीत हो रही है।”
नॉन-कोर बिानेस को बेचने के अलावा डीएलएफ अव्यावहारिक रियल एस्टेट परियोजनाओं से भी पीछे हट रही है। कर्नाटक में बिदाड़ी और पश्चिम बंगाल में दांकुनी इसके उदाहरण हैं। सिंह ने बताया कि कंपनी की नजर मध्यम आय वर्ग के हाउसिंग परियोजना लॉन्च करने की है।
चेन्नई, कोच्चि, दिल्ली और गुड़गांव में 80 से 90 लाख वर्ग फीट की परियोजना लॉन्च कर रही है। दिल्ली और आस पास के इलाकों में 50 से 80 लाख वर्ग फीट की परियोजना लॉन्च कर रही है।
