देश भर में मोबाइल सेवा प्रदान करने का लाइसेंस हासिल करने के बाद से दूरसंचार कंपनी डैटाकॉम लगातार सुर्खियों में बनी हुई है।
डैटाकॉम में हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड एचएफसीएल के महेंद्र नाहटा की 36 फीसद हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश में लगे वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के हाथ नाकामी ही लगी है। इस सिलसिले में धूत और नाहटा के बीच बातचीत नाकाम हो गई।
नए लाइसेंस हासिल करने वाली कंपनियों के बीच सबसे पहले दूरसंचार सेवा शुरू करने की जो होड़ मची हुई है, डैटाकॉम उसमें सबसे आगे रहने की उम्मीद कर रही थी। लेकिन धूत-नाहटा बातचीत खत्म होने के बाद शायद ऐसा न हो सके।
इस बातचीत से जुड़े सूत्रों ने बताया कि धूत ने डैटाकॉम की कीमत 90 करोड़ डॉलर लगाते हुए उसी आधार पर नाहटा के शेयरों के बायबैक की पेशकश की थी। लेकिन नाहटा अपनी कंपनी की कीमत 140 करोड़ डॉलर लगाए जाने पर अड़े हुए थे।
अगर इस गणित पर चला जाए, तो धूत नाहटा को इन शेयरों के बदले 1,360 करोड़ रुपये देने के लिए राजी थे। लेकिन नाहटा की मांग 2,116 करोड़ रुपये पर पहुंच रही थी। नाहटा के खेमे के सूत्रों का कहना है कि जब धूत को डैटाकॉम में हिस्सेदार बनाया गया था, तो दोनों के बीच हुए समझौते में कंपनी की कीमत 140 करोड़ डॉलर ही लगाई गई थी।
इस हिसाब से चलने पर धूत को शेयरों की वही कीमत देनी पड़ती, जिसकी मांग नाहटा कर रहे थे। धूत खेमे ने डैटाकॉम की असाधारण आम बैठक में 8 अगस्त को एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें कंपनी के निदेशक राजकुमार धूत को मोबाइल सेवा कंपनी चलाने के लिए अधिक अधिकार दे दिए गए। इस कदम का विरोध जम्बो टेक्नो सर्विसेज ने किया था, जिसके जरिये डैटाकॉम में नाहटा की हिस्सेदारी है।
नाहटा ने कहा, ‘हमने समाधान निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। हमने तो वे शर्तें भी मंजूर कर लीं, जो हमारे समझौते को देखते हुए काफी खराब थीं। लेकिन अपने हित सुरक्षित रखने के लिए हमारे पास कानूनी रास्ता अख्तयार करने का अधिकार तो मौजूद है।’ इस सिलसिले में वेणुगोपाल धूत से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।