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रिलायंस नेवल पर फैसला आज

Last Updated- December 12, 2022 | 1:51 AM IST

नवीन जिंदल समूह, नीदरलैंड की एपीएम टर्मिनल्स और जीएमएस दुबई व तुर्की की बेसिकटास के कंसोर्टियम ने रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के लिए अंतिम बोली जमा कराई है। बोली के आकलन और सबसे ऊंचे बोलीदाता के चयन के लिए बुधवार को लेनदारों की बैठक होगी।
अनिल अंबानी समूह की पूर्व कंपनी को दिवालिया संहिता 2016 के तहत कर्ज समाधान के लिए तब एनसीएलटी भेजा गया गया था जब कंपनी 12,400 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने में नाकाम रही। कंपनी पीपावाव के पास दक्षिण गुजरात तट पर शिपयार्ड का परिचालन करती है और मुश्किल में फंस गई क्योंंकि भारतीय रक्षा क्षेत्र से उसे ऑर्डर नहीं मिले।
एपीएल टर्मिनल्स व जीएमएस दुबई को इसका फायदा मिल सकता है, अगर वह रिलायंस नेवल के अधिग्रहण में सफल रहती है। उधर, नवीन जिंदल समूह शिपयार्ड को अपने स्टील उत्पादों के लिए संभावित ग्राहक के तौर पर देख रहा है। रिलायंस नेवल के अधिग्रहण में 12 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन इनमें से तीन ने ही अंतिम बोली जमा कराई। अन्य कंपनियों ने कोविड के कारण आर्थिक हालात बिगडऩे व ऑर्डर के अभाव का हवाला देते हुए अपने हाथ खींच लिए।
अभिरुचि पत्र जमा कराने के दौर में अहम उम्मीदवारों में से एक यूनाइटेड शिपबिल्डिंग ऑफ रसिया ने अंतिम बोली से हाथ खींच लिए क्योंकि कंपनी के प्रबंधन का मानना है कि नए रक्षा सौदे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और सरकार ने भी कंपनी के छह अनुबंध रद्द कर दिए थे। कंपनी के अग्रणी बैंक आईडीबीआई बैंक का कर्ज 1,300 करोड़ रुपये है और उसने कंपनी के खिलाफ जनवरी 2020 में आईबीसी कार्यवाही के लिए आवेदन किया था। भारतीय स्टेट बैंंक का कर्ज 1,965 करोड़ रुपये जबकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का कंपनी के ऊपर कर्ज 1,555 करोड़ रुपये है। बैंकों ने संयुक्त रूप से कंपनी के ऊपर 12,429 करोड़ रुपये का दावा ठोका है।

सभी बैंक पहले ही कंपनी को दिए कर्ज को बट्टे खाते में डाल चुके हैं और कर्ज समाधान के लिए उसके कर्ज का हस्तांतरण नवगठित नैशनल एआरसी को कर चुके हैं। ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 12 ऑफशोर वेसल्स का ऑर्डर दिया था। इनमें से सात की डिलिवरी कंपनी ने 2015-16 तक की और बाकी की डिलिवरी समय पर नहीं हो पाई। ऑर्डर रद्द करने के खिलाफ कंपनी ने मध्यस्थता याचिका दाखिल की है। कंपनी का रक्षा मंत्रालय के साथ भी कानूनी विवाद चल रहा है कक्योंकि भारतीय नौसेना ने उसके ऑर्डर रद्द कर दिए थे।

First Published - August 17, 2021 | 11:19 PM IST

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