विमानन कंपनियों को ऋण की चिंता

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:46 PM IST

विमानन उद्योग का परिचालन सुचारु होने और कोविड-19 के प्रभाव के बीच कार्यशील पूंजी के लिए बैंकों से रकम जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विमानन क्षेत्र को उधार देने में बैंक काफी सतर्क रुख अपना रहे हैं जिससे भारतीय विमानन कंपनियों के लिए ऋण हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। ईंधन कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के कारण विमानन कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ गई है। ऐसे में विमानन कंपनियों ने कार्यशील पूंजी के लिए बैंकों ऋण हासिल करने में सरकार से दखल देने की मांग की है।
इस मामले के एक करीबी व्यक्ति ने कहा कि बाजार की अग्रणी कंपनी इंडिगो अपनी मजबूत नकदी स्थिति के कारण बैंकों से ऋण जुटाने में समर्थ रही है लेकिन स्पाइसजेट एवं गो फस्र्ट जैसी छोटी विमानन कंपनियों को उनके दबावग्रस्त बहीखातों के कारण बैंकों से ऋण जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। टाटा समूह की स्वामित्व वाली विमानन कंपनी को इस स्थिति से निपटने के लिए मूल कंपनी से लगातार इक्विटी निवेश का सहारा मिलता रहा है।
छोटी विमानन कंपनियां आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) अथवा पात्र संस्थागत निवेश (क्यूआईपी) के जरिये पूंजी बाजार से रकम जुटाने में भी असमर्थ रही हैं। ऐसे में उनके लिए स्थिति कहीं अधिक भयावह हो गई है। हालांकि दोनों विमानन कंपनियों- गो फस्र्ट और स्पाइसजेट- ने आईपीओ और क्यूआईपी के जरिये रकम जुटाने की घोषणा की है लेकिन उसकी प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है। विमानन कंपनियां उधारी के लिए कहीं अधिक आसान नियमों की मांग कर रही हैं। इसलिए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में विमानन कंपनियों के शीर्ष नेतृत्व और बैंक प्रमुखों के साथ बैठक की थी। विमानन कंपनियां चाहती हैं कि बैंक इस क्षेत्र के लिए अपने उधारी मानदंडों को उदार बनाए।
एक विमानन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने वित्त मंत्री के समक्ष अपनी बात रखी है। हमने कहा है कि विमानन कंपनियों की ऋण योग्यता को देखते हुए बैंक 2020 से पहले के मानदंडों पर विचार नहीं कर सकते हैं। उन्हें 2021 के बाद पुनर्गठित बहीखाते पर गौर करते हुए शर्तें निर्धारित करनी चाहिए।’ अधिकारी ने कहा कि वेंडरों और आपूर्तिकर्ताओं की देनदारी के साथ-साथ ऋण की स्थिति आदि में कोविड लहर के बाद काफी बदलाव हुआ है।
हालांकि स्पाइसजेट और गोएयर जैसी विमानन कंपनियों को सरकार की आपातकालीन ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 349 करोड़ रुपये तक की मदद की गारंटी मिली है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करने वाले तमाम लोगों के अनुसार, ऋणदाता विशेष तौर पर विमानन कंपनियों के लिए रेहन में बढ़ोतरी करने अथवा प्रवर्तकों को ऋण हासिल करने के लिए अधिक व्यक्तिगत
हिस्सेदारी को गिरवी रखने के लिए कह रहे हैं।
एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विमानन कंपनियों को ऋण देने में काफी जोखिम है। अधिकतर विमानन कंपनियां हल्की परिसंपत्ति के साथ परिचालन वाले मॉडल पर चल रही हैं। ऐसे में यदि वे ऋण की अदायगी में चूक करती हैं तो हमारे पास भुनाने के लिए उनकी कोई खास अचल संपत्ति नहीं होगी। इसके अलावा विभिन्न बैंकरों को किंगफिशर एयरलाइंस मामले में पूछताछ का सामना करना पड़ा था जो उनके दिमाग में अब भी ताजा है।’ उदाहरण के लिए, पिछले साल गो फस्र्ट के तौर पर नए सिरे से ब्रांडिंग करने वाली वाडिया समूह की विमानन कंपनी गो एयर को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और आईडीबीआई बैंक से तभी ऋण मिल पाया है जब समूह की कंपनी वाडिया रियल्टी ने अपने भूखंडों को गिरवी रखा।

First Published : March 13, 2022 | 11:35 PM IST