मद्रास उच्च न्यायालय ने वेदांत लिमिटेड के स्वामित्व वाली कंपनी स्टरलाइट के तूतीकोरिन कॉपर स्मेल्टिंग संयंत्र को दोबारा खोलने की अनुमति देने से आज इनकार किया। न्यायालय ने वेदांत लिमिटेड की ओर से दायर सभी 10 याचिका को खारिज कर दिया। इसके तहत तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) द्वारा 9 अप्रैल 2018 को जारी किए गए उस आदेश को भी चुनौती दी गई थी। इसके अलावा इसमें सरकार के उस आदेश को भी चुनौती दी गई थी जिसके तहत इस संयंत्र को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
सरकार ने इस संयंत्र में विरोध प्रदर्शन के दौरान 22 मई को पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत होने के बाद इसे बंद करने का निर्णय लिया था। हालांकि कंपनी ने कहा है कि यह राज्य प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया थी लेकिन राज्य सरकार ने संयंत्र पर पर्यावरण संबंधी कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि उसे रोजाना करीब 5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। यह फैक्टरी करीब 790 दिनों से बंद है जिससे करीब 3,500 से 4,000 करोड़ रुपये का परिचालन नुकसान हो सकता है।
मद्रास उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इन सभी याचिका पर करीब 36 दिनों तक विभिन्न पक्षों की दलील सुनने के बाद जनवरी 2020 में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। अंतत: न्यायमूर्ति टीएस शिवज्ञानम और वी भवानी सुब्ब्रायन ने इस मामले में आज आदेश पारित कर दिया।
न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें 12 मार्च को ही यह फैसला देना था लेकिन वैश्विक महामारी के कारण ऐसा नहीं हो सका। इस वैश्विक महामारी के बाद उन्होंने फोन के जरिये तीन अलग-अलग पीए को यह आदेश लिखवाया। करीब 815 पृष्ठ के अपने आदेश में अदालत ने सभी 10 याचिका को खारिज कर दिया और टीएनपीसीबी एवं राज्य सरकार के सभी आदेशों को बरकरार रखा। अदालत ने हरेक मामले में अपनी टिप्पणी भी दी है।
स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पंकज कुमार ने इस आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अदालत का यह फैसला स्टरलाइट कॉपर के सभी कर्मचारियों, इससे जुड़े हजारों छोटे कारोबारियों, उद्यमियों और इसके परिचालन पर निर्भर समुदाय के लोगों के लिए एक जबरदस्त झटका है।
कुमार ने कहा, ‘हम सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल परिचालन सुनिश्चित करने में भरोसा करते हैं और कुछ पक्षों द्वारा फैलाई जा रही आधी-अधूरी बातों और सबूतों पर जानबूझकर निर्भर होने का विरोध करते हैं। हमें इस बात से भी चोट लगी है कि ऐसे समय में जब हमारे देश को तांबा आयात के लिए आक्रामक पड़ोसी देशों पर निर्भर होने के लिए मजबूर किया जा रहा है, कुछ ताकतें स्वतंत्र रूप से तांबा के उत्पादन में हमारे देश की क्षमता के खिलाफ षडयंत्र कर रहे हैं। इसलिए हम आगामी दिनों में उपलब्ध सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे।’