बिल्डिंग मैटीरियल्स क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों का प्रदर्शन 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में कमजोर रहा। मांग के मामले में चुनौतियां बरकरार रहने के कारण वॉल्यूम सुस्त रहा। वहीं परिचालन मुनाफा मार्जिन पर सकल मार्जिन में गिरावट और बढ़ती इनपुट लागत का भी दबाव पड़ा।
विभिन्न सेगमेंट में सिरैमिक कंपनियों ने मिले-जुले नतीजे पेश किए। पॉलिविनाइल क्लोराइड (PVC) पाइप बनाने वाली और वुड पैनल की निर्माताओं ने वॉल्यूम और मार्जिन दोनों में गिरावट दर्ज की है।
ऐसे ढुलमुल प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए बीओबी कैपिटिल मार्केट्स ने कहा कि बिल्डिंग मैटीरियल्स क्षेत्र में राजस्व की वृद्धि लगातार सातवीं तिमाही में सालाना आधार पर सुस्त होकर महज 1.3 फीसदी रही। इस पर कमजोर मांग और लंबी अवधि तक चली बारिश का असर पड़ा। कुल मिलाकर इस क्षेत्र का परिचालन लाभ सालाना आधार पर करीब 21 फीसदी घटा, क्योंकि कमजोर मांग के माहौल में काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा के चलते मार्जिन पर गंभीर दबाव पड़ा।
सिरैमिक कंपनियों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया। कजारिया सिरैमिक्स और सोमानी सिरैमिक्स ने सालाना आधार पर वॉल्यूम में 5.3 से 8.4 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की। कजारिया की दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी की वॉल्यूम वृद्धि उसके अपने अनुमान 11-12 फीसदी से कम थी और कंपनी अब वित्त वर्ष 2025 के लिए 9 से 10 फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य कर रही है।
अनुमान से कम वृद्धि के बावजूद कजारिया ने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया और तिमाही के दौरान बाजार हिस्सेदारी हासिल की। हालांकि गैस की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन अधिक छूट के कारण सालाना और क्रमिक आधार पर सकल मार्जिन में कमी आई। आईआईएफएल रिसर्च के मुताबिक निर्यात कमजोर रहा और ऊंची माल ढुलाई दरों के कारण सालाना आधार पर 31 फीसदी की गिरावट आई।
लगातार छठी तिमाही में राजस्व में 0.8 फीसदी की गिरावट के साथ बाथवेयर सेगमेंट भी प्रभावित हुआ। प्रमुख कंपनियों के लिए परिचालन लाभ मार्जिन वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 386 आधार अंक घटकर 12.5 फीसदी रह गया। कमजोर मांग के बीच मुख्य रूप से कच्चे माल की अधिक लागत और डीलर छूट में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ।
ब्रोकरेज फर्मों को उम्मीद है कि आने वाले समय में कमजोर निर्यात प्रदर्शन के कारण घरेलू टाइल बाजार के राजस्व पर दबाव रहेगा। इस खंड में भारत के शुद्ध निर्यात में सालाना आधार पर 24 फीसदी की गिरावट को देखते हुए मोरबी, गुजरात में निर्यात-केंद्रित कंपनियों से घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है।
मांग में कमी के कारण मोरबी में लगभग 250 इकाइयां बंद हो गई हैं। निर्यात बाजार के लिए एक और चिंता का विषय अमेरिका द्वारा भारतीय टाइल्स पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की संभावना है जो उस बाजार में कुल निर्यात का 8 फीसदी है।
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग ने पाया कि 10 अग्रणी निर्यात गंतव्यों में टाइल के वॉल्यूम में सालाना आधार पर 13 फीसदी की गिरावटआई है जिसकी वजह अमेरिका में निर्यात में 7 फीसदी की सालाना गिरावट और पश्चिम एशिया में निर्यात में 6 से 35 फीसदी की गिरावट होना है।
मनीष महावर की अगुआई वाले ब्रोकरेज के विश्लेषकों के अनुसार अमेरिकी निर्यात में कमी मई 2024 में संयुक्त राज्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के प्रारंभिक एंटी-डंपिंग लगाने के साथ-साथ समुद्री माल ढुलाई की ऊंची दरों और कंटेनर उपलब्धता के मसलों के कारण आई थी।
पॉलिमर की कीमतों में उतार-चढ़ाव, कम सरकारी पूंजीगत व्यय और विस्तारित मॉनसून की चुनौतियों के कारण पीवीसी कंपनियों की दूसरी तिमाही भी कमजोर रही। इस क्षेत्र की दोनों प्रमुख कंपनियों सुप्रीम इंडस्ट्रीज और एस्ट्रल पाइप्स ने पिछले वर्ष की तुलना में वॉल्यूम में 1 से 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की। वितरण चैनलों के स्टॉक कम करने से पूरे सेक्टर की वॉल्यूम वृद्धि एकल अंकों में रही। साथ ही प्रति यूनिट कम बिक्री मूल्य, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और इन्वेंट्री घाटे के कारण परिचालन लाभ में 30 फीसदी की गिरावट आई।
अतिरिक्त क्षमता वृद्धि और इनपुट लागत के दबाव के कारण वुड पैनल क्षेत्र में भी तिमाही की रफ्तार धीमी र ही। वुड पैनल निर्माताओं के परिचालन लाभ मार्जिन में लगातार नौवीं तिमाही में गिरावट आई है, जिसकी वजह कम मांग और मार्जिन पर दबाव था। इसकी वजह आपूर्ति पक्ष के दबाव और लकड़ी की ऊंची कीमतें थी। इस क्षेत्र की कंपनियों ने अब बढ़ती इनपुट लागत की भरपाई के लिए मामूली कीमत वृद्धि लागू करना शुरू कर दी है।
बीओबी कैपिटल मार्केट्स का बिल्डिंग मैटीरियल शेयरों पर सकारात्मक नजरिया है। इससे मांग और मार्जिन में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। साथ ही मूल्यांकन ज्यादा सही हो गए हैं। उसके पसंदीदा शेयरों में प्लास्टिक पाइप्स में सुप्रीम इंडस्ट्रीज, बाथवेयर में सेरा सैनिटरीवेयर, टाइल्स में सोमानी सिरैमिक्स और वुड पैनल में ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज शामिल हैं। मांग सुधरने में हालांकि 2025-26 तक की देरी की आशंका है। लेकिन आईआईएफएल रिसर्च का मानना है कि सेंचुरीप्लाई और सेरा सैनिटरीवेयर इस क्षेत्र में बेहतर स्थिति में हैं।