नीति आयोग छोटे उद्यमों के लिए समर्पित उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर आंतरिक रूप से काम कर रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसका मकसद एमएसएमई को समर्थन देना और उन्हें क्षमता बढ़ाने में मदद करना है।
आयोग इस पर विचार कर रहा है कि पीएलआई योजना दो हिस्सों में होनी चाहिए। पहले में बड़ी कंपनियों के लिए योजना, जिसमें ज्यादा लक्ष्य होगा, और दूसरा हिस्सा छोटी कंपनियों के लिए, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और आपूर्ति शृंखला के हिसाब से अहम हैं।
पिछले महीने बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि नीति आयोग ने पीएलआई योजना का विस्तार सभी क्षेत्रों के मझोले आकाल के उद्योगों तक करने का सुझाव दिया था, जिससे देश आत्मनिर्भर बन सके और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिल सके।
बहरहाल अब यह अनुभव किया जा रहा है कि छोटे बिजनेस के लिए एक समर्पित योजना होनी चाहिए।
सरकार ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जोडऩे के लिए 13 क्षेत्रों हेतु उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत 2019-20 आधार वर्ष से 5 वर्षों के लिए फर्मों को प्रोत्साहन दिया गया है।
ऐसा माना जा रहा है कि नीति आयोग अलग पीएलआई योजनाओं की संभावना पर चर्चा कर रहा है, जिसके अलग मानक होंगे और यह बड़ी व छोटी कंपनियों के लिए पेश किया जा सकता है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि इस समय इस मसले पर आंतरिक रूप से चर्चा हो रही है और अंतिम फैसला अभी लिया जाना है।
अधिकारी ने कहा कि सेक्टरवार विश्लेषण और कारोबारी मॉडल व प्रोफाइल की जांच के बाद छोटे कारोबारों के लिए नई योजना तैयार की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मांग के आधार पर बिजनेस के आकार को बड़ा रखने के बारे में विश्लेषण किया जा रहा है। योजना के लिए कोई एकसमान तरीका नहीं हो सकता जहां बड़े कारोबार के साथ छोटी कंपनियों के लिए संभावना नहीं है। अधिकारी ने कहा कि इसके बजाय एमएसएमई के लिए पीएलाआई योजना में मांग आधारित तरीका हो सकता है, जहां उन्हें वास्तव में फायदा हो सके।
फेडरेशन आफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज ने कहा कि पीएलआई योजना अब तक सिर्फ बड़े कारोबारों को लक्षित रही है और छोटे कारोबारियों को अब तक योजना का लाभ नहीं मिला है। भारत ने कहा कि इस समय पीएलआई योजना एमएसएमई को आपूर्ति शृंखला का हिस्सा बनाने पर केंद्रित नहीं है। उन्होंने कहा कि छोटे कारोबार पर प्रोत्साहन ज्यादा होना चाहएि क्योंकि ऐसी फर्मों की निवेश राशि बड़े कारोबारियों जितनी उच्च स्तर पर नहीं होती है।
बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिर्टी बेंगलूरु के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि अगर छोटे बिजनेस के लिए प्रोत्साहन देने के लिए कोई ठोस योजना लाई जाती है तो यह निश्चित रूप से एमएसएमई के लिए मददगार होगी।